Saturday, 16 June 2018

A-377 ख़बर 17.6.18--5.49 AM

A-377 ख़बर 17.6.18--5.49 AM 


ख़बर चली आये तो ख़बर मिल जाती है 
मामूली सी ख़बर भी अब बहुत सुहाती है 
हर पल इन्तज़ार रहता तेरी ही ख़बर का 
तेरी ख़बर ऐसे जैसे ज़िंदगी की बाती है 

एक पल भी नहीं रहा जाता तेरी जुदाई में 
ढूँढता रहता हूँ मैं तुझको तेरी ही खुदाई में 
सारी ख़लकत भी तब लगे मुझे छोटी सी 
मिल जाते हैं जब कुछ पल तेरी बड़ाई में 

कौन कहता है कि तू एक इन्सान नहीं है 
इन्सान हैं मग़र फ़रिश्तों का जहां नहीं है 
झूठी माया से लिप्त रहे जहाँ सारा जहां 
उसी झूठे लोक में दिखी क्या माँ नहीं है 

तब भी न दिखे तुमको तो लानत है तुझे 
एक ऐसा जीव सबसे मन भावन है मुझे 
शिशु न छोड़े माँ बेशक उसे संसार दे दो 
कुछ नहीं चाहिए उसे माँ का प्यार दे दो 

मातृत्व में ख़ुदा खुद जैसे शरीक़ हुआ है 
लाड़ के आगे तो खुद भी बारीक़ हुआ है 
न रची उसने इससे ख़ूबसूरत काया कोई 
माँ के सौभाग्य से ख़ुदा भी नसीब हुआ है 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

4 comments:

  1. Beautiful word about woman and mother

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  2. निहायत ही खूबसूरत अंदाज़ मैं बयां फरमाया है
    आप की इसी अदाओं क़े तो कद्रदान हैं हम।
    आप की हर नज़्म आग़ाज़ होती है आने वाली
    नज़्म का

    ReplyDelete
  3. निहायत ही खूबसूरत अंदाज़ मैं बयां फरमाया है
    आप की इसी अदाओं क़े तो कद्रदान हैं हम।
    आप की हर नज़्म आग़ाज़ होती है आने वाली
    नज़्म का

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