Wednesday 30 November 2016

A-213 दिल से दिल की बात करो 1.12.16--7.50 AM

A-213 दिल से दिल की बात करो 1.12.16--7.50 AM

दिल से दिल की बात करो 
न तुम बरसो न बरसात करो 
प्यार के चंद लमहों को देखो 
केवल उनका ही इजहार करो 

दर्द अपना न छुपाओ कोई 
खुल कर तुम भी बात करो 
फूल सुगन्धित खिल आते हो 
फूलों की तरह बरसात करो 

क्या रखा है बेरुखी बातों में 
शिकायतों का निस्तार करो 
वो तुमको ही खाते रहते हैं 
कुछ नया नया ईज़ाद करो 

दिल से दिल की बात करो 
न तुम बरसो न बरसात करो 

Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

Saturday 12 November 2016

A-210 मैं चिड़िया बन 13.11.16—7.23 AM

मैं चिड़िया बन 13.11.16—7.23 AM

मैं चिड़िया बन बन जाऊँगा
मैं सारे वन में धूम मचाऊँगा 
जो टहनी मुझे मिल जाएगी 
उसी टहनी को घर बनाऊँगा 

नहीं मैं शोर शराबा करना 
दुनिया को मैं दिखलाऊँगा
न कुछ मेरा है न कुछ तेरा
घर घर में दीप जलाऊँगा 

डाल डाल पर टहनी टहनी 
फुदक फुदक मैं इतराऊँगा 
दुनिया की परवाह नहीं अब 
अपनी गाथा खुद ही गाऊँगा 

आसमान की छत के नीचे 
झंडा भी ऊँचा मैं लहराऊँगा 
उम्र जाति का झगड़ा है सब 
दुनिया को भी मैं बतलाऊँगा 

घर घर जब खेला करते थे 
इस इशारे पर मैं जाऊँगा 
कौन सा घर कहाँ रह गया 
किसको अपना जतलाऊँगा

कैसा झगड़ा कौन सी थाली 
किस घर अंगना मैं जाऊँगा 
कोई मेरा होता टिक जाता 
सब का अहम मैं भगाऊँगा 

रात साँवरिया रैन बिना अब 
झूठ साँवरिया नहीं बनाऊँगा 
जिस दिल में दीप जले जब 
उसी का होकर रह जाऊँगा 

Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

Tuesday 8 November 2016

A-209 तुम खुद ही 7.4.16—5.15 AM



तुम खुद ही 7.4.16—5.15 AM

तुम खुद ही बने खुद की तस्वीर हो 
तुम खुद ही बने अपनी तकदीर हो 
किधर देखते हो वहां कोई भी नहीं 
तुम देखो तुम ही अपनी तदबीर हो 

कुछ नहीं खुद ही खुद को देख लो 
अपनी ही नज़रों से खुद का भेद लो 
परखो जिंदगी की हर उस तरंग को 
बन के उमंग झकझोरे हर पतंग को 


परखो जरा देखो अपनी जुबान को 
बना रही है हर पल तेरी पहचान वो 
खुशियां के डोले भी तेरे ही बोल थे 
दुःख संकट जो बोले तेरे ही बोल थे 

एक पल पहले लगे हुए अम्बार थे 
दूजे पल बिखर गए सब ख्वार थे 
कौन था जिसने किया निर्माण था 
तुम्ही थे जिसने किया आह्वान था 



हर तस्वीर तुमने खुद ही बनाई है 
हर तस्वीर तुमने खुद ही सजाई है 
वह शहनाई भी तुमने ही बजाई है 
वही तेरी किस्मत बनकर आयी है 

जो तुमने कहा वही तो तुम हो गए 
अब क्यूँ अपने ख्यालों में खो गए 
गरिमा भी तेरी है उपवन भी तेरा है 
फूल जो भी खिले हैं मन भी तेरा है 

तेरे ही वो शब्द हैं तेरा ही मान है 
तेरी ही कद्र है तेरा ही सम्मान है 
तेरे शब्दों की वही तो पहचान है 
वही जिंदगी वही तो अभिमान है 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali