Wednesday 3 May 2017

A-270 तेरा उदास चेहरा 21.4.17--9.02 AM

A-270 तेरा उदास चेहरा 21.4.17--9.02 AM

तेरा उदास चेहरा यह एक लम्बी दास्ताँ है 
कई कहानियों को लेकर यह मुखर हुआ है 

हम भी रहे हैं गवाह तेरे इस सफ़र के 
हमसफ़र भी रहे हैं तेरी इस दास्ताँ के 

उम्मीद लगाए बैठे हैं कोई कहे नई कहानी 
बन जाए ज़िन्दगी मेरी बन जाए मन रूहानी

शब्दों का फेर बदल है ये मेरी है कहानी 
जैसे शब्द निकले वैसी ही है ज़िन्दगानी 

कब तक जुड़े रहोगे कहानियों के समंदर 
चलते हैं नए रास्ते बन के जायेंगे सिकंदर 

ज़िन्दगी के मसलों से अब और क्या उभरना 
गिर कर तो देखो ज़रा गिरना ही है संभलना 

उठता भी वही है जिसने कभी गिरकर है देखा
जो गिरा ही नहीं उसकी फूटी है क़िस्मत रेखा

सीखना कहाँ है जहाँ हों तूफ़ानों के घेरे 
वर्ना कौन पूछे कितने बलिष्ठ बाजू तेरे

नहीं मिलती मंज़िल जो केवल बढ़ते जाएँ 
ठिकाने का पता हो तभी तो पहुँच वो पाएं 

कुछ ग़लत नहीं है सब शब्दों का हेर फेर है 
ग़लतियाँ भी नहीं है वो सब तेरा तेर मेर है 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

No comments:

Post a Comment