Sunday 28 May 2017

A-276 तुमको नहीं मालूम 28.5.17--2.08 PM

A-276 तुमको नहीं मालूम 28.5.17--2.08 PM

तुमको नहीं मालूम तुम कितनी हसीन हो 
कितनी ख़ूबसूरत हो कितनी नाज़नीन हो

तुम मृग नयनी हो या नयनों की मीर हो 
ज़ुल्फ़ों की घटा हो या उसकी तकरीर हो

मोहब्बत का नशा हो या उसकी तमीज़ हो
होंठ रसीले मधुशाला दिलक़श लज़ीज़ हो 

खुदा की धरोहर हो जन्नत की शरीफ़ हो 
फ़िज़ा की महक हो बहारों की तहरीफ़ हो 

तुमको नहीं मालूम तुम कितनी हसीन हो 
कितनी ख़ूबसूरत हो कितनी नाज़नीन हो

Poet: Amrit Pal Singh Gogia "Pali"

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