हम तुम्हारे चले आने का
सचमुच आओ सपनों में
आओ आकर हमें जगाने का
रिवाज पुराना हो चला अब
चिट्ठियों के आने जाने का
वक़्त कहाँ मिलेगा तुमसे
अब मिलने और मिलाने का
तरसती निगाहें सूनी राहें
तब भी खलकत के आने का
सावन की बदरी भी आये
और ठंडी फुहार के आने का
बगिया में फूल खिले हों जब
तब भवरों के मँडराने का
ठंडी-ठंडी पुरवा चले और
तेरा आकर सिमट जाने का
दिल को थोड़ी ठंडक पहुँचे
तुम्हारा फिर मिल जाने का
'पाली' करेगा इंतज़ार भी
उस वक़्त के बेवक्त आने का
जिसमें आनन्द भरा होगा
हँसने-खेलने व मुस्कुराने का
अमृत पाल सिंह 'गोगिया'
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