बहुत कमाया बहुत खाया
अब किसके लिए कमाना है।
बृद्ध अवस्था अब जाग उठी
अब किसको और जगाना है।
राम-नाम का धन है थोड़ा
इसको और बढ़ाना है।
जिनसे थोड़ी रंजिश अब तक
उस रंजिश को निपटाना है।
बहुत निकल गया दिन हैं थोड़े
ख़ुद को ये समझाना है।
प्यार की महिमा घर-घर गूंजे
उसको अब अपनाना हैं।
इन्सां को तुम इन्सां समझो
सबसे बड़ा ये तराना है।
वयोवृद्ध अपने घर पर रहें
उनके घर को सजाना है।
माफ़ी माँगे अब सारे जग से
दिल न किसी का दुखाना है।
पाली अब तक बहु ढोंग रचा
अब ढोंग से पल्ला छुड़ाना है।
अमृत पाल सिंह 'गोगिया'
👌👌
ReplyDeleteNice 👌
ReplyDeleteVery very nice ਰਾਮ ਨਾਮ ਕਾ ਧੰਨੁ ਹੈ ਥੋੜਾ ਇਸ ਕੋ ਅਔਰ ਬਢਾਨਾ ਹੈ
ReplyDeleteGM,very nice Sir
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर विश्लेषण 🙏
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteVERY VERY NICE REPEAT SENDED BUT FEELINGS ARE MORE THAN PREVIOUS (ਅਬ ਢੌਂਗ ਸੇ ਪਲਾ ਛੁਡਾਨਾ ਹੈ ) ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ ਜੀ ਧੰਨਵਾਦ
ReplyDeleteVery good Excellent 👍 👏 👌
ReplyDeleteVery good Excellent 👍 👏 👌
ReplyDeleteVery good Excellent 👍 👏 👌
ReplyDeleteGreat and absolutely relevant for us. Amrit pal ji you are too good. Such a good poet.
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