Friday 28 February 2020

A-493 ढोंग 22.2.2020--2.03 AM

बहुत कमाया बहुत खाया 
अब किसके लिए कमाना है। 
बृद्ध अवस्था अब जाग उठी 
अब किसको और जगाना है। 

राम-नाम का धन है थोड़ा 
इसको और बढ़ाना है। 
जिनसे थोड़ी रंजिश अब तक 
उस रंजिश को निपटाना है। 

बहुत निकल गया दिन हैं थोड़े 
ख़ुद को ये समझाना है। 
प्यार की महिमा घर-घर गूंजे 
उसको अब अपनाना हैं। 

इन्सां को तुम इन्सां समझो 
सबसे बड़ा ये तराना है। 
वयोवृद्ध अपने घर पर रहें 
उनके घर को सजाना है। 

माफ़ी माँगे अब सारे जग से 
दिल न किसी का दुखाना है। 
पाली अब तक बहु ढोंग रचा 
अब ढोंग से पल्ला छुड़ाना है। 

अमृत पाल सिंह 'गोगिया'

11 comments:

  1. Very very nice ਰਾਮ ਨਾਮ ਕਾ ਧੰਨੁ ਹੈ ਥੋੜਾ ਇਸ ਕੋ ਅਔਰ ਬਢਾਨਾ ਹੈ

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  2. बहुत ही सुन्दर विश्लेषण 🙏

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  3. VERY VERY NICE REPEAT SENDED BUT FEELINGS ARE MORE THAN PREVIOUS (ਅਬ ਢੌਂਗ ਸੇ ਪਲਾ ਛੁਡਾਨਾ ਹੈ ) ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ ਜੀ ਧੰਨਵਾਦ

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  4. Very good Excellent 👍 👏 👌

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  5. Very good Excellent 👍 👏 👌

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  6. Very good Excellent 👍 👏 👌

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  7. Great and absolutely relevant for us. Amrit pal ji you are too good. Such a good poet.

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