माँ अगर तू न होती तो कौन होता कोई प्रतिबिंब होता या तत्व होता तेरी करुणा का क्या प्रमाण होता कोई आभास होता कि सत्य होता
माँ अगर तू न होती तो कौन होता
जिन्दगी के आधार का जश्न होता
पेड़ का जिस्म तना या स्तम्भ होता
किसके स्तनों से तब खेला करता
कोई खज़ाना होता स्नेह धन होता
माँ अगर तू न होती तो कौन होता
कैसे उमड़ती स्नेह से स्निग्धता भी
आँचल संग सिमटा हुआ मन होता
मूत्र सना कोई गीला बिछौना होता
या फिर माँ तेरा रूप सलोना होता
माँ अगर तू न होती तो कौन होता
तेरी ममता रिस-रिस मुझमें महके
शायद ऐसा ही कोई भगौना होता
तेरी काया में समाया मेरा जिस्म
क्या कुछ ऐसा ही खिलौना होता
माँ अगर तू न होती तो कौन होता
क्या बहना भी होती भाई भी होता
जब बहना रोती तब भाई भी रोता
मैं मिटकर तुम जैसा बन जाता माँ
'पाली' भी भवसागर तर जाता माँ
अमृत पाल सिंह 'गोगिया'
बहुत ही सुंदर व प्रेम भरपूर पंक्तियाँ है जिस को कविता कह रहे है कवि जो पुत्र है माँ के माँ के लिये ।
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteMa Agar tu na hoti toh
ReplyDeleteKuch nahi hota.....
अद्भुत व्याख्या 🙏
ReplyDeleteअद्भुत व्याख्या 🙏
ReplyDeleteਸ਼੍ਰੀ ਮਾਨ ਜੀ ਤੁਸੀਂ ਹਰਫਨਮੌਲਾ ਹੋ ਸੰਸਾਰ ਸਾਗਰ ਦੀ ਗਹਿਰਾਈ ਵਿਚੋਂ ਅਹਿਸਾਸ ਕਰਵਾ ਰਹੇ ਹੋ ਮਾਂ ਤੇ ਸਿਰਫ ਮਾਂ ਹੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਬਸ
ReplyDeleteबहुत खूब मां का सुंदर विवरण👌
ReplyDeleteबहुत खूब मां का सुंदर विवरण👌
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