लोगों को संबंध से संबंध नज़र आने लगे
एक ही संबंध है जो लोगों में समाहित है
पूर्वाग्रह से ग्रस्त रिश्ते ही नज़र आने लगे
सबको हक़ है सोच पर काबिज होने का
अपनी सोच का ही मतलब समझाने लगे
कुछ लोग तो जानकर इतने बेचैन हो गए
कि सारे अर्थों के भी अर्थ निकलवाने लगे
कुछ तो व्यस्त हो गए खुद की ही सोच में
कि हर तरह के किस्सों को भी भुनाने लगे
जमाने का चलन बताने से काम न चलेगा
अपने स्थल के पुजारी भी कुलबुलाने लगे
घोर कल-युग में निहित यही कल-युग है
लोग कल-युग की बातों पर खिझाने लगे
जहाँ शर्म हो न हया यह कैसी ज़िन्दगी है
लोगों में दूरदृष्टि है और वो दूर जाने लगे
ख़त्म हो रहा उद्देश्य दिखा है परिवार का
रिश्तों से रिश्तों का रहस्य वो बताने लगे
प्रौढ़ता है लोगों में और यह अच्छी बात है
तभी तो परिपक्वता की याद दिलाने लगे
कब तक चलनी है यह रिश्तों की दौड़धूप
कुछ ऐसा हो कि सामंजस्य भी आने लगे
क्या मेरी आई मेरी सहेली नहीं हो सकती
क्यों बहनों को यूँ हमसे पृथक बताने लगे
रिश्तों में दूरियाँ भी कुछ सोच कर बनी हैं
तभी तो बाप बड़ा, बेटे छोटे कहलाने लगे
क्या अच्छा हो अगर हम सभी मित्र ही हों
न रिश्तों में घुन लगे न कोई समझाने लगे
अब तो प्रयोजन के भी अर्थ निकल गए हैं
असमंजस में सही मतलब निकलवाने लगे
परमात्मा ने एक इन्सान बनाया था 'पाली'
हम तो उसकी सौगात को ही उलझाने लगे
अमृत पाल सिंह ‘गोगिया'
Very nice 👌
ReplyDeleteTHANK YOU SO MUCH FOR YOUR APPRECIATION. THANKS
DeleteSAT SHRI AKAAL JI VERY NICE LINES............ IMPRESSED ............GREAT & POSITIVE THINKING
ReplyDeleteTHANK YOU SO MUCH FOR YOUR WONDERFUL FEEDBACK. THANKS
Deleteबहुत ही सुंदर चित्रण किया है हर पहलुओं का आप की यही खूबी आप के कवि हृदय की सच्ची पहचान कराती है। मेरी दुआ है आप की कलम ज़िन्दगी के हर पहलू का बयां इसी तरह कराती रहे अविराम।
ReplyDeleteTHANK YOU SO MUCH FOR YOUR WONDERFUL FEEDBACK AND BLESSINGS. THANKS
DeleteTHANK YOU SO MUCH FOR YOUR APPRECIATION. THANKS
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