Tuesday 8 December 2020

A-576 बाप की बाबत 8.12.2020--9.06 PM

किसी ने पूछा भाई बाप कैसा होता है  

मैंने सोचा भला ऐसा प्रश्न भी होता है 

मुझे थोड़ा दिमाग को खंगालना पड़ा 

यही प्रश्न है जो आंखें को भिगोता है 


मैंने कहा एक ऐसा इंसान जो अक्सर 

जागता ज्यादा और टुकड़ों में सोता है 

अपने दुखड़े किसी को बताता ही नहीं 

अपने कंधों से लगकर खुद ही रोता है 


दिनभर तो रोटियाँ कमाने की भागदौड़ 

बेशक खुद सारा दिन भूखा ही होता है 

कोई भूखा रहे कभी परिवार में कोई 

इसी चिंता में सपने भी खूब संजोता है 


बड़ा खुदगर्ज है किसी की सुनता नहीं 

दिन की खबर रात का पता होता है 

कैसे अपनों की ज़िन्दगी स्वर्ग बना दूँ 

इस वजह से नर्क का भार भी ढोता है


अपनी सेहत से कर लेता है समझौता 

इसको लेकर वह बेख़बर सा होता है 

खुद फटे पुरानों कपड़ों से करे गुज़ारा 

बच्चे नए कपड़ों में देख खुश होता है 


दिमाग से दिवालिया आग का गोला 

और हरदम बौखलाया हुआ होता है 

उसकी मानो तो गुस्सा भी जायज है 

जिम्मेदारियों भी केवल वही ढोता है 


'पाली' मत पूछो कि बाप की बाबत 

एक विचित्र किस्म का जीव होता है 

जितना भी कठोर दिखता है ऊपर से 

यह अंदर से उतना ही ग़रीब होता है 


अमृत पाल सिंहगोगिया'

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