Monday 28 December 2020

A-578 किसान तंग क्यूँ है 27.12.20--9.30 AM

आज हमारी आँखें नम क्यूँ हैं 

इनमें आज इतना गम क्यूँ है 

देखी नहीं जाती इनकी हालत 

बताओ तो किसान तंग क्यूँ है 


गुरुओं को तब से अंदेशा था 

धर्म के नाम बँटा यत्न क्यूँ है  

लोग पूछते थे लंगर का अर्थ 

इकट्ठे बैठने का चलन क्यूँ है 


नहीं दिखती शहीदों की बलि 

इस पर तुम्हारा ये तंज क्यूँ है 

ठिठुरते बुजुर्ग भी दिखते नहीं 

सरकार मेरी इतना रंज क्यूँ है 


क्यूँ दिखता नहीं है इंसानों में 

सरकार में ऐसा भुजंग क्यूँ है 

डस रहा है दोगला साँप है ये    

फिर पूछता है कि जंग क्यूँ है


राज के नाम पर लूट खसोट 

मन की बात भी बेरंग क्यूँ है 

लाशों को अनदेखा कर रहा 

इतना अहं और दबंग क्यूँ है 


क्या तुमने जाना माँ का दर्द  

नौ माह का उसमें दर्द क्यूँ है 

वह भी सहता है उस दर्द को 

नहीं पूछता कभी सर्द क्यूँ है 


पलकें बिछाए रात भर वह 

करवटें बदलता रंज क्यूँ है 

फिर भी शुक्राना है प्रभु का 

आखिर इतना मलंग क्यूँ है 


अरे जाग जाओ धूर्त लोगों 

फिर कहना तलब क्यूँ है 

छीन लेंगे सारा चैन तुम्हारा  

तब तू कहेगा अजब क्यूँ है 


मौका देखकर संभल जाओ 

अहं में रंगे इतना रंग क्यूँ है 

हमारी मानो तो पता चलेगा 

'पाली' में इतना दम क्यूँ है 


अमृत पाल सिंह 'गोगिया'

2 comments:

  1. ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ ਸ਼੍ਰੀ ਮਾਨ ਜੀ (ਜੋਸ਼ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਟਾਨਿਕ ਦੀ ਤਰਾਂ ) ਬਿਲਕੁਲ ਠੀਕ ਲਿਖਿਆ ਹੈ ਜੀ ਪ੍ਰਮਾਤਮਾ ਸਾਰੇ ਹੀ ਅੰਦੋਲਨਕਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਆਪਸੀ ਏਕਤਾ ਤੇ ਚੜ੍ਹਦੀ ਕਲਾ ਰਾਹੀਂ ਜਿਤ ਬਖਸ਼ੇ ਜੀ

    ReplyDelete