Wednesday 7 December 2016

A-218 तमाशबीनों की दुनिया है 8.12.16—5.23 AM

A-218 तमाशबीनों की दुनिया है 8.12.16—5.23 AM

तमाशबीनों की दुनिया है 
तमाशबीनों का शहर है 
कोई छोटा तमाशबीन है 
किसी ने ढाया कहर है 

मैं मैं न रही वो अब वो न रहे 
अब दिल की बात कौन कहे
दिल मेरा अब मुंतशिर भी नहीं   
जज्बा जज्बातों का कौन सहे 

उनके आने से ख़लल होता है 
उनके जाने से उफान आता है 
यह कैसी तस्वीर है तमाशे की 
जैसे मौत का फरमान आता है 

तमाशबीनों की दुनिया है.. तमाशबीनों का शहर है 

Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

1 comment: