जिसमें कोई आवाज़ नहीं है
चिड़ियों का चहचहाना देखा
उसका कोई सुरताल नहीं है
कोयल की कु-कू को देखा
उसमें भी कोई अंगार नहीं है
दिल में आया गाके उड़ गयी
उसका जैसे घर-बार नहीं है
कुत्ता भी अब किसपर भौंके
दिखता अब किरदार नहीं है
बिना नींद के वह भी न सोये
लेकिन सच है बीमार नहीं है
सकल सृष्टि खुशियां मनाये
केवल इंसान हक़दार नहीं है
हमने सबकुछ अपना बनाया
सृष्टि का तो व्यापार नहीं है
चींटी सहित हाथी को देखो
क्या उनका परिवार नहीं है
कितना देखो मिलजुल रहते
क्या लगता कि प्यार नहीं है
प्रदुषण भी कहाँ चला गया
क्यों उसका आधार नहीं है
जल में मछली सुन्दर उपवन
क्या उसका अधिकार नहीं है
क्यों न करे कोरोना तांडव
जब सृष्टि से प्यार नहीं है
सृष्टि ने इतना कुछ दिया
और उसका आभार नहीं है
अमृत पाल सिंह 'गोगिया'
Sat shri akaal ji
ReplyDeleteਕਿਊਂ ਨ ਕਰੇ ਕਰੋਨਾ ਤਾਂਡਵ ਜਬ ਸ਼੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਸੇ ਪਿਆਰ ਨਹੀਂ ਹੈ ਇਨਸਾਨ ਇਨਸਾਨੀਅਤ ਦਾ ਤੇ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਦਾ ਘੋਰ ਅਪਰਾਧੀ ਹੋ ਗਿਐ
ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਸਰਬੱਤ ਦਾ ਭੱਲਾ ਕਰੇ ਜੀ
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ReplyDeleteBahut khoob sardar ji......
ReplyDeleteक्या खूब कहा है लुत्फ़ आ गया
ReplyDeleteक्यों ना करें तांडव कॅरोना
जब सृष्टि से प्यार नहीं है
एक बार फिर से छू लिया आपने दिल को
क़ायल हो गये आपकी दूरदर्शिता के।
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