Saturday 25 April 2020

A-510 धर्म की निन्दा 26.4.2020--3.50 AM

किसी धर्म की निन्दा का मुझे अधिकार नहीं है 
क्यों कि अभी मेरा इतना बड़ा आकार नहीं है 
आकार बड़ा भी हो जाये तो यह क्यों जरूरी है 
इस प्रश्न से मेरा अभी हुआ साक्षात्कार नहीं है  

मैं मानूँ तो मेरी अपनी कई वज़ह हो सकती हैं 
पर ऐसा मानना भी इसका कोई आधार नहीं है 
परम्परायें अपनी-अपनी हैं धर्म भी तो अपना है 
धर्म के नाम पर झगड़े को जमीन तैयार नहीं है 

सारी की सारी जातियां सिर्फ सदियों पुरानी हैं 
सदियों से पहले का क्या कोई किरदार नहीं है 
लाखों साल पुराने अवशेष मिलते हैं खुदाई में 
सबूत काफी नहीं है कि कोई भी बेकार नहीं है 

भूल जायो अगर धर्म को तो कौन सा झगड़ा है 
तो क्या फिर धर्म ही झगड़ों का आधार नहीं है 
कौन झूठ बोल रहा धर्म जोड़ता है तोड़ता नहीं 
ऐसे धर्म की चर्चा करना भी क्या बेकार नहीं है 

'पाली' तू अपना धर्म निभा एक इंसान होने का 
इंसानियत जरुरी है वरना कहीं भी प्यार नहीं है 
क्या रखा है हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई होने में 
सेवा-सिमरन करने के लिए धर्म आधार नहीं है  

अमृत पाल सिंह 'गोगिया'



Friday 24 April 2020

A-509 करोना तू जा 23.4.2020-11.11 PM

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा
तुमने ही तो इंसान को सच दिया समझा 
इंसानी हैवानियत सीमायें लांघ गयी थी 
उसको उसकी औकात से दिया है मिला 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

तेरे चरण स्पर्श करूँ या मैं बिनती करूँ 
अब तू खुद ही कोई नया रास्ता दिखला 
तूने संसार को हैवान से इंसान बना दिया 
अगर कुछ बाकी है तो वह भी दे समझा 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

हम हाथ मल-मल कर तुमको ढूँढते रहे 
हैरानगी है कि कैसे खुद को लिया छिपा 
तुमने तो अपना जलवा भी दिया है दिखा
सकल दोगले चेहरों से पर्दा दिया है हटा 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

मानवता तो शायद कहीं ग़ुम हो गयी थी
तूने उनको उनके घर की राह दी है दिखा 
मुझे वहम था कि बहुत कम है मेरे समक्ष 
तूने और भी कम में जीना दिया है सिखा

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

लगता था आसमान कभी नीला न होगा 
तूने ये करिश्मा भी करके दिया है दिखा  
चाँद और तारे भी अब टिमटिमाने लगे हैं 
उनको भी मिला कोई अपना खैर ख़्वाह 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

जो प्रजातियाँ गुम भी हो गयीं थी कहीं 
उनको भी लाकर तूने सामने दिया बिठा 
चहकते पंक्षी उनकी आज़ादी का मंझर 
करिश्मा है जो तूने करके दिया है दिखा 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

नदियां नाले समुद्र की देखो चहलकदमी 
कितने वह स्वच्छ हो गये हमको रहे बता 
हे इंसान आडंबर छोड़ मुझसे दूर रह बस 
फिर तुमको देंगे हम लम्बी उम्र की दुआ 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

पवन पुत्र पानी पिता माता धरती महत 
गुरुबाणी देखो कैसे गाती इसके तहत 
तेरी ही अगुवाई में हुई सावन जैसी हवा 
सर्दी खांसी एलर्जी देखो कैसे हुए दफ़ा  

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

बिनती है कि राजनीतिज्ञों को तू समझा 
कुछ ऐसा कर जो इनको भी मिले सजा 
खुद से ऊपर उठकर देशहित में ही सोचें 
सुधर गये तो नहीं होगा फिर कोई गुनाह 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

इतिहास तुम्हें याद करेगा हरपल अथाह 
ऋणी हैं सदा रहेंगे बेशक ले तू लिखवा 
तूने मौत देकर हमको दिया कैसे दफना 
क्यों न इंसान रहे अब निकलती है आह 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

अपने अपनों से जुदा हो चुके थे सचमुच 
कैसे हो सकता था कोई इतना बेपरवाह 
तुमने जो काम किया दिल दिया है हिला 
पाली तिल-तिल मर रहा नहीं कोई गिला 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

अमृत पाल सिंह 'गोगिया'

Tuesday 14 April 2020

A-508 पुरानी यादें 14.4.2020--7.28 PM















पुरानी यादों को जब समेटा तो बड़ा झमेला हो गया 
जैसे-जैसे छोड़ा उनको मैं बिलकुल अकेला हो गया 

सबकुछ तो था मेरे अधीन बेशक वो तेरा ख़्वाब था 
मंज़िलें मिलकर तय करी फिर कैसे वो तेरा हो गया 

यादें पूछती हैं मुझे कदा क्यों करता रहा तक़रीर तू 
कैसे पल-पल को पिरोता रहा कैसे बखेरा हो गया 

याद आ ही जाती है जब किसी अपने ने पुकारा हो 
कैसे कह दूँ मैं कि तुम दूर रहो अब बहुतेरा हो गया 

सिसकियों के साथ रहना ही मुनासिब लगा मुझको 
क्यों कि वही अपनी लगीं जो उनका सवेरा हो गया 

अमृत पाल सिंह 'गोगिया'

Friday 3 April 2020

A-505 कोरोना वायरस 3.4.2020-4.22 AM

कुछ भी नहीं है तनिक न ठहरा
सूरज और आसमान का पहरा 
चिड़ियों को भी मिली आज़ादी 
प्रकृति का आलम देख सुनहरा 

बिलख रही थी जो धरती माता 
संकोच बड़ा था घाव था गहरा 
दोहन प्रवृति भी सरल न होती 
इंसान न होता ग़र इतना बहरा 

नदियों के अन्दर आयी जवानी
कह न सकीं जो अपनी कहानी  
उनकी व्यथा भला कौन बताता 
उनका दर्द भी भला कैसे जाता 
कैसे दिखायूँ अब अपना चेहरा 
पाली शर्मिंदा है दुःख भी गहरा 
पंछी जानवर ग़र नहीं वो खाता 
कोरोना वायरस कभी न आता 

अमृत पाल सिंह 'गोगिया'