Tuesday 14 April 2020

A-508 पुरानी यादें 14.4.2020--7.28 PM















पुरानी यादों को जब समेटा तो बड़ा झमेला हो गया 
जैसे-जैसे छोड़ा उनको मैं बिलकुल अकेला हो गया 

सबकुछ तो था मेरे अधीन बेशक वो तेरा ख़्वाब था 
मंज़िलें मिलकर तय करी फिर कैसे वो तेरा हो गया 

यादें पूछती हैं मुझे कदा क्यों करता रहा तक़रीर तू 
कैसे पल-पल को पिरोता रहा कैसे बखेरा हो गया 

याद आ ही जाती है जब किसी अपने ने पुकारा हो 
कैसे कह दूँ मैं कि तुम दूर रहो अब बहुतेरा हो गया 

सिसकियों के साथ रहना ही मुनासिब लगा मुझको 
क्यों कि वही अपनी लगीं जो उनका सवेरा हो गया 

अमृत पाल सिंह 'गोगिया'

9 comments:

  1. Sat shri akaal ji purani yadon....... SE LEY KAR.. Siskion ke sath rehna hi munasib laga...... jo un ka sawera ho gaya..... TAKk EK GEHRA EHSAAS HAI JI DEEP SUPER EXCELLENT

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    1. Thank you so much for keeping me inspired and more responsible!

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  2. बेहद ही खूबसूरत बयां है।

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  3. बेहद खूबसूरत अंदाज़ है।

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