पुरानी यादों को जब समेटा तो बड़ा झमेला हो गया
जैसे-जैसे छोड़ा उनको मैं बिलकुल अकेला हो गया
सबकुछ तो था मेरे अधीन बेशक वो तेरा ख़्वाब था
मंज़िलें मिलकर तय करी फिर कैसे वो तेरा हो गया
यादें पूछती हैं मुझे कदा क्यों करता रहा तक़रीर तू
कैसे पल-पल को पिरोता रहा कैसे बखेरा हो गया
याद आ ही जाती है जब किसी अपने ने पुकारा हो
कैसे कह दूँ मैं कि तुम दूर रहो अब बहुतेरा हो गया
सिसकियों के साथ रहना ही मुनासिब लगा मुझको
क्यों कि वही अपनी लगीं जो उनका सवेरा हो गया
अमृत पाल सिंह 'गोगिया'
Excellent!!!
ReplyDeleteThank you so much for keeping me inspired!
Delete👌👌
ReplyDeleteThank you so much for keeping me inspired!
DeleteSat shri akaal ji purani yadon....... SE LEY KAR.. Siskion ke sath rehna hi munasib laga...... jo un ka sawera ho gaya..... TAKk EK GEHRA EHSAAS HAI JI DEEP SUPER EXCELLENT
ReplyDeleteThank you so much for keeping me inspired and more responsible!
Deleteबेहद ही खूबसूरत बयां है।
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत अंदाज़ है।
ReplyDeleteThank you so much for keeping me inspired!
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