क्यों कि अभी मेरा इतना बड़ा आकार नहीं है
आकार बड़ा भी हो जाये तो यह क्यों जरूरी है
इस प्रश्न से मेरा अभी हुआ साक्षात्कार नहीं है
मैं मानूँ तो मेरी अपनी कई वज़ह हो सकती हैं
पर ऐसा मानना भी इसका कोई आधार नहीं है
परम्परायें अपनी-अपनी हैं धर्म भी तो अपना है
धर्म के नाम पर झगड़े को जमीन तैयार नहीं है
सारी की सारी जातियां सिर्फ सदियों पुरानी हैं
सदियों से पहले का क्या कोई किरदार नहीं है
लाखों साल पुराने अवशेष मिलते हैं खुदाई में
सबूत काफी नहीं है कि कोई भी बेकार नहीं है
भूल जायो अगर धर्म को तो कौन सा झगड़ा है
तो क्या फिर धर्म ही झगड़ों का आधार नहीं है
कौन झूठ बोल रहा धर्म जोड़ता है तोड़ता नहीं
ऐसे धर्म की चर्चा करना भी क्या बेकार नहीं है
'पाली' तू अपना धर्म निभा एक इंसान होने का
इंसानियत जरुरी है वरना कहीं भी प्यार नहीं है
क्या रखा है हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई होने में
सेवा-सिमरन करने के लिए धर्म आधार नहीं है
अमृत पाल सिंह 'गोगिया'
ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ ਜੀ....... ਤੁਹਾਡਾ ਆਪਣੀ ਸਿਹਤ ਦਾ ਧਿਆਨ ਰੱਖਣਾ ਵੀ ਸਮਾਜ ਪ੍ਰਤੀ ਧਰਮ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਆਪਣਾ ਵੀ ਧਿਆਨ ਰੱਖਿਆ ਕਰੋ ਜੀ ਦੁਆ ਕਰਦਾਂ ਪ੍ਰਮਾਤਮਾ ਤੁਹਾਨੂੰ ਤੰਦਰੁਸਤੀ ਤੇ ਆਨੰਦਮਈ ਲੰਮੇਰਾ ਜੀਵਨ ਬਖਸ਼ੇ ਜੀ
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteVery good
ReplyDeleteਖੁਸ਼ ਰਹੋ ਤੰਦਰੁਸਤ ਰਹੋ ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ
ReplyDeleteएक और नायब नगीना जो शायद ही अपनी मौजूदा ज़िन्दगी में भुला पाऊंगा। धर्म के ठेकेदार इसे अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए अथियार बना कर मुल्कों में दहशतगर्दों को खदेड़ कर अपने मंसूबों को अंजाम देते हैं जिसमें बेकसूर सख्स इस चक्की मैं पिस जाता है।
ReplyDeleteआप वाक़ई धन्यवाद के पात्र हैं।