Friday 24 April 2020

A-509 करोना तू जा 23.4.2020-11.11 PM

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा
तुमने ही तो इंसान को सच दिया समझा 
इंसानी हैवानियत सीमायें लांघ गयी थी 
उसको उसकी औकात से दिया है मिला 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

तेरे चरण स्पर्श करूँ या मैं बिनती करूँ 
अब तू खुद ही कोई नया रास्ता दिखला 
तूने संसार को हैवान से इंसान बना दिया 
अगर कुछ बाकी है तो वह भी दे समझा 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

हम हाथ मल-मल कर तुमको ढूँढते रहे 
हैरानगी है कि कैसे खुद को लिया छिपा 
तुमने तो अपना जलवा भी दिया है दिखा
सकल दोगले चेहरों से पर्दा दिया है हटा 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

मानवता तो शायद कहीं ग़ुम हो गयी थी
तूने उनको उनके घर की राह दी है दिखा 
मुझे वहम था कि बहुत कम है मेरे समक्ष 
तूने और भी कम में जीना दिया है सिखा

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

लगता था आसमान कभी नीला न होगा 
तूने ये करिश्मा भी करके दिया है दिखा  
चाँद और तारे भी अब टिमटिमाने लगे हैं 
उनको भी मिला कोई अपना खैर ख़्वाह 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

जो प्रजातियाँ गुम भी हो गयीं थी कहीं 
उनको भी लाकर तूने सामने दिया बिठा 
चहकते पंक्षी उनकी आज़ादी का मंझर 
करिश्मा है जो तूने करके दिया है दिखा 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

नदियां नाले समुद्र की देखो चहलकदमी 
कितने वह स्वच्छ हो गये हमको रहे बता 
हे इंसान आडंबर छोड़ मुझसे दूर रह बस 
फिर तुमको देंगे हम लम्बी उम्र की दुआ 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

पवन पुत्र पानी पिता माता धरती महत 
गुरुबाणी देखो कैसे गाती इसके तहत 
तेरी ही अगुवाई में हुई सावन जैसी हवा 
सर्दी खांसी एलर्जी देखो कैसे हुए दफ़ा  

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

बिनती है कि राजनीतिज्ञों को तू समझा 
कुछ ऐसा कर जो इनको भी मिले सजा 
खुद से ऊपर उठकर देशहित में ही सोचें 
सुधर गये तो नहीं होगा फिर कोई गुनाह 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

इतिहास तुम्हें याद करेगा हरपल अथाह 
ऋणी हैं सदा रहेंगे बेशक ले तू लिखवा 
तूने मौत देकर हमको दिया कैसे दफना 
क्यों न इंसान रहे अब निकलती है आह 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

अपने अपनों से जुदा हो चुके थे सचमुच 
कैसे हो सकता था कोई इतना बेपरवाह 
तुमने जो काम किया दिल दिया है हिला 
पाली तिल-तिल मर रहा नहीं कोई गिला 

कैसे कहूँ करोना कि तू जा-तू जा-तू जा

अमृत पाल सिंह 'गोगिया'

8 comments:

  1. ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ ਜੀ ਕਿੰਨਾ ਸਨੇਹ ਹੈ ਕੁਦਰਤ ਤੇ ਇਨਸਾਨੀਅਤ ਪ੍ਰਤੀ ਮੁਆਫ ਕਰਨਾ ਜੀ (ਪਵਣੁ ਗੁਰੂ ਪਾਣੀ ਪਿਤਾ ਮਾਤਾ ਧਰਤਿ ਮਹਤੁ ਹੈ ) ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਤੰਦਰੁਸਤੀ ਤੇ ਆਨੰਦਮਈ ਲੰਮੇਰਾ ਜੀਵਨ ਬਖਸ਼ੇ ਜੀ

    ReplyDelete
    Replies
    1. I really thank you all for your wonderful feedback. You are source of my poetry. Thanks again

      Delete
  2. Sir jee your poem is near of reality. Very good sir jee.

    ReplyDelete
    Replies
    1. I really thank you all for your wonderful feedback. You are source of my poetry. Thanks again

      Delete
  3. वल्लाह क्या बात है एक बार फिर से आभास होने लगा आप जैसा कवि विरला ही होता है।
    आप को मेरा शत शत प्रणाम।

    ReplyDelete
    Replies
    1. I really thank you all for your wonderful feedback. You are source of my poetry. Thanks again

      Delete
  4. Replies
    1. I really thank you all for your wonderful feedback. You are source of my poetry. Thanks again

      Delete