Sunday 30 October 2016

A-205 तेरा वो मखमली एहसास 11.8.2016—6 AM

भूले नहीं हम …………
तेरा वो मखमली एहसास 

किसको मैं अपना कहूँ 
किसको मैं कहूँ उदास 
जिसका भी जिक्र करूँ 
वही बन जाता है खास 

तेरे चेहरे की बात करूँ 
कैसे निकाला है तराश 
तूने चेहरा छिपा रखा है 
कह कर खुद को उदास 

तेरे नयनों की बात करूँ 
पहना खूबसूरत लिबास 
कजरा से नयन कजरारे 
नयन भी मटके बिंदास 

इनका जिक्र क्यूँ न करूँ 
नथुनों का तीखा उभार 
आन शान दोनों निराली 
बना रहा चेहरे को ख़ास 

होंठ रसीले क्या कहने 
बिन वर्षा करते बौछार  
अब कैसे मैं बयां करूँ  
जब तू ही दिखे उदास 

सिलमे सितारों का जश्न 
ये हुस्न और ये लिबास 
बला का खूबसूरत चेहरा 
और वो भी इतना उदास 

भूले नहीं हम………….
तेरा वो मखमली एहसास 



Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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