आज तेरी इबादत की तमन्ना जाग उठी
मैं उठा, दोनों हाथ उठे, रागिनी राग उठी
मुश्किल तो तब हुई, जब तुम ही न मिले
शक हुआ और हमारी फितरत जाग उठी
ओर मिले, छोर मिले मिले कोई विराम
तभी तो लिख जाये कोई छोटा सा नाम
कुछ सुर्खी कहीं बिंदी,कहीं विराम लगे
तभी तो मैं कह सकूँ मुझे मेरे राम मिले
बहुत यत्न किए, दस्तक भी दी हज़ार
मिल गयी तसवीरें मिला बड़ा अम्बार
उन तस्वीरों में तू तो कहीं भी नहीं था
चाहत थी तू मिले मिले मुझे निरंकार
मन में एक हूक उठी संग आवाज़ उठी
उठा सरगम सुर और रागिनी राग उठी
मधुर बेला स्तुति की पुकार जाग उठी
तू मिला तेरे मिलने की बात भाग उठी
आज तेरी इबादत की तमन्ना जाग उठी
मैं उठा, दोनों हाथ उठे, रागिनी राग उठी
Poet: Amrit Pal Singh Gogia
👌👌
ReplyDeleteਧੰਨਵਾਦ sat shri akaal i feel u r really All rounder (ਹਰਫਨਮੌਲਾ)
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