अपने इतने क़रीब और नज़ारा देखा
तरसती है दुनिया जिस पल के लिए
उस पल को जी भर के हज़ारा देखा
देखा उनको भी टकटकी लगाते हुए
निगाहों से निगाहें अपनी लड़ाते हुए
उनके तस्वीरों की फ़ेहरिस्त को देख
मज़मून उमड़ पड़े यूँ ही गुनगुनाते हुए
नूरानी चेहरा चाँद उमड़ आया था
उनको देख ख़ुदा भी मुस्कराया था
दिल को सुकून आया मन को चैन
अब गुजरेंगे लम्हें अब गुजरेगी रैन…
अब गुजरेंगे लम्हें अब गुजरेगी रैन…
Poet: Amrit Pal Singh Gogia "Pali"
Thank you so much Yashpal Ji for your appreciation & Love. Gogia
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