Wednesday 23 August 2017

A-311 कौन कहेगा 22.8.17--2.00 AM

A-311 कौन कहेगा 22.8.17--2.00 AM
हुस्न के जब जब चर्चे होंगे 
कौन कहेगा प्यार न कर 
प्यार की भाषा तेरी मंज़िल
कौन कहेगा इकरार न कर 

होंठ रसीले जब टपकेंगे 
कौन कहेगा इज़हार न कर 
हर चुम्बन जब सिहरन लाये 
कौन कहेगा प्यार न कर 

नैनों से तीर जब निकलेंगे 
तरकश भर इज़हार ज़बर
घायल होकर दिल जो तड़पे 
कौन कहेगा प्यार न कर 

श्वांसों की गर्मी जो भा जाये 
कौन कहेगा इंतज़ार न कर 
बाँहों में जो समा जाये सागर 
कौन कहेगा प्यार न कर 

जुल्फों के साये की ठंडक में 
कौन कहेगा आदाब न कर 
उसकी उलझन से क्या होगा 
कौन कहेगा प्यार न कर 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia

6 comments:

  1. Thank you so much Surender ji for your wonderful comments!

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  2. Replies
    1. Thank you so much Ganga for your wonderful comments!

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  3. Thanks again for your inspiration and comments!

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  4. थम गई है सोच भी
    थम गई है मंज़िल भी
    ना कोई साथी है
    ना कोई हमसफ़र
    चलना तो है
    लेकिन किस ओर
    अँधेरे को चीर कर
    जाना है कही
    लेकिन किस ओर
    और क्यूँ ?

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  5. जरा ठहरो थाम लो दामन किसी का
    जो थाम ले दामन वक़्त भी उसी का
    नज़रें बचा के वक़्त की ओर तो देखो
    जो नज़र डाले यह हो जाता उसी का

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