Thursday 17 May 2018

A-363 बिक्री क्यों बढ़ानी है 15.5.18—10.51 PM

A-363 बिक्री क्यों बढ़ानी है 15.5.18—10.51 PM 
मैं सोच रहा हूँ कि बिक्री क्यों बढ़ानी है

खानी तो दो रोटी चावल दाल पुरानी है  
कभी कभी मीठा भी मिल जाये तो क्या 
अगले दिन शुगर भी तो चेक करवानी है
न चले न चलनी अपनी कोई मनमानी है 
मैं सोच रहा हूँ कि बिक्री क्यों बढ़ानी है

चाय भी मिले तो दूध में पानी मिलाकर 
शक्कर भी तो अब थोड़ी ही मिलानी है 
जाँच जब डॉक्टर से करवानी पड़ जाये 
हो जाना दूध का दूध पानी का पानी है 
मैं सोच रहा हूँ कि बिक्री क्यों बढ़ानी है

उत्पादन की चिंता भी हरदम रहे सताये 
किस पुर्जे को कब कहाँ व् कैसे लगायें 
आपूर्ति नहीं हुई तो हो जानी बदनामी है 
यह बात किसी को समझ नहीं आनी है 
मैं सोच रहा हूँ कि बिक्री क्यों बढ़ानी है

उत्पादन के चक्कर में उम्र क्यों गँवानी है 
मशीन जो भूल चुकी अपनी ही जवानी है 
नयी मशीनों के लिए नई जगह बनानी है 
पुरानी को हटाने की जुगत भी लगानी है 
मैं सोच रहा हूँ कि बिक्री क्यों बढ़ानी है

बिक्री बढ़ गयी तो लालसा बढ़ जानी है 
अभी बहुत कम हुई थोड़ी और बढ़ानी है 
अभी एक और नयी जुगत भी लगानी है
थोड़ा मनमानी थोड़ी करनी बेईमानी है 
मैं सोच रहा हूँ कि बिक्री क्यों बढ़ानी है

तुम्हारे सपनों में नई नयी चिप लगानी है 
आगे बढ़कर हमने यह बात भी बतानी है 
तुम हमारे शीर्ष रत्न तुमसे ही जवानी है  
तदबीर और तस्वीर दोनों ही दिखानी है 
मैं सोच रहा हूँ कि बिक्री क्यों बढ़ानी है

चिंता करो पर बात समझ नहीं आनी है 
पैसा तो हाथों की मैल है आनी जानी है 
जितना मर्जी कमाओ सारी बंट जानी है 
मसला यह है कि क़िस्मत भी अन्जानी है 
मैं सोच रहा हूँ कि बिक्री क्यों बढ़ानी है

याद आया यह बात तो बहुत पुरानी है 
अब तो हमने करनी अपनी मनमानी है 
खुदा ने जिस शौहरत से हमें नवाज़ा है 
उसी शौहरत में ही अदा भी दिखानी है 
सोच रहा हूँ इसीलिए बिक्री बढ़ानी है

उसने मुझको संगठित परिवार दिया है 
भार दिया है उसका आधार ही दिया है 
उसकी डफ़ली है हमने ही तो बजानी है 
फिर कैसा तकल्लुफ़ कैसी परेशानी है 
सोच रहा हूँ इसीलिए बिक्री बढ़ानी है

मैं फलू फूलूँगा तो मेरा परिवार फलेगा 
किलकारियां गूँजेगी हरपल याद रहेगा 
उसने दिया हुआ उसकी ही मेहरबानी है 
उसकी धुन है हमने तो केवल सजानी है 
सोच रहा हूँ इसीलिए बिक्री बढ़ानी है

Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”


8 comments:

  1. Thank you so much Neelam for your comments!

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    1. बेहद ही खूबसूरत अंदाज़ में हर पहलू का बायां
      आपकी परिपक्वता का इज़हार काबिले तारीफ़ है।

      सिलसिला इसी तरह से ज़ारी रहे यही उम्मीद
      करते हैं।

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  3. बहुत ही सुन्दर मनोभाव को आपने व्यक्त किया है आपसे दूर रहकर भी आपसे कुछ सीखने को जी चाहता है

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