Saturday 19 May 2018

A-364 अंधविश्वास 18.5.18--3.44 AM

A-364 अंधविश्वास 18.5.18--3.44 AM 

अंधविश्वास कभी भी अंधविश्वास नहीं है 
अंधविश्वासी को इस पर विश्वास नहीं है 

जब तक न दिख जाये सच बना रहता है 
दिख जाये तो अंधविश्वास नहीं रहता है 

बिल्ली ने राह काटा तुम घर लौट आये 
बिल्ली भला इसका कैसे विरोध जताये 

जब तुमने रास्ता काटा जब बिल्ली का 
बिल्ली के लिए मामला यह खिल्ली का 

कुत्ता जब रोये तो तुम कुत्ता लगे भगाये 
वो चला जाये क्या बुरी ख़बर टल जाये 

जब तुम रोयो तो कुत्ता भी तो करे उपाय 
कि उसकी मसला भी आते ही टल जाये 

सती होने में कोई अंधविश्वास नहीं था 
तब सत्य था कोई विरोधाभास नहीं था 

आत्म संदर्भित है इसका किरदार नहीं है 
खुद में रहता है इसका कोई भार नहीं है 

अंधविश्वास उसका मायावी ज़िक्र है 
सच दिखे तो नहीं रहता कोई फ़िक्र है 

मैं के अहम् में भी कथापि सत्य नहीं है 
है के समक्ष भी कोई रोशनी रत नहीं है 

गिर के टूट जाये कोई विकल्प नहीं है 
सच में दृढ़ता शामिल है अल्प नहीं है 

मैं को मुश्किल से ही बदलते देखा है 
मैं के समकक्ष नहीं रहती कोई रेखा है 

कौन कैसा है एक झूठ की परिभाषा है 
तुम्हें भाता नहीं तुम्हारी ही अभिलाषा है 

कोई वैसा है ही नहीं जैसा बना रखा है 
बुत्त बनाकर तुमने मन में सजा रखा है 

जो जैसा है वैसा ही उसे स्वीकार करो 
जीवन में आया है उसका सत्कार करो

नहीं बदल सकते तुम लाख प्रयास करो 
खुद भी तुम जैसे हो वैसा स्वीकार करो 

चुनाव करो जो मिला है उसी के अधीन 
नहीं तो ढूंढते रहोगे हो जाओगे ग़मगीन 

नहीं मिला कभी मन चाहा साथी कोई 
करिश्मा है कोई कीड़ी और हाथी कोई 

Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

10 comments:

  1. Wah! Kya khoob 👏👏👏 ati uttam..

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    1. Thank you so much Arora Saheb for you inspiring comments!

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  3. Replies
    1. Thank you so much for your wonderful comments! May I know your name?

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  4. Thank you so much Sir for inspiring me

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  5. Jo jaisa hai vase hi स्वीकार करो https://media.giphy.com/media/B95F0EecqUF20/giphy.gif

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