Tuesday 20 November 2018

A-415 पीपनी का शोर 19.11.18--9.28 PM

न रहा दर्द न तो गुमां कोई जब प्यार की तहज़ीब आयी 
प्यार की तमन्ना जो हुई तो सामने से तेरी तस्वीर आयी 

खुले में प्यार का स्वागत हुआ गांठें खुली तासीर आयी 
न रहा प्रमाण मोहब्बत का लगा कि मेरी तक़दीर आयी 

न रही कसक ज़िंदगी में न कोई गम लगा कि ईद आयी 
जुबां में मिठास घुलने लगी जैसे कि मेरी दहलीज़ आयी 

अँधेरे में रहकर ही रोशनी की तलब हुई तब दीद आयी 
अब अँधेरे से कैसा शिक़वा वह था तभी तहज़ीब आयी 

अब काहे का दर्द और कौन सी पीपनी का शोर ज्यादा 
प्यार के सम सब फ़ीका है इस बात की तरतीब आयी 


Poet: Amrit Pal Singh ‘Gogia’

11 comments:

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    1. Thank you so much Sangha saheb for on going inspiration!

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    1. Thanks! It would be nice of you if you disclose your identity! Gogia

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  3. क्या बात है....
    प्यार कोई चीज नहीं,
    जिसे महेनत से हांसिल किया जाए,
    प्यार कोई मुकद्दर नहीं,
    जिसे तक़दीर पे छोड़ा जाए,
    प्यार एक यकीन है भरोसा है,
    लेकिन यह इतना आसान नहीं,
    की किसीसे भी किया जाए !!

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    1. Thanks again Arora saheb for on going inspiration! Gogia

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