A-189 लाश बोल उठी-10.9.15—2.30 PM
लाश बोल उठी
अब क्या देखते हो मैं वही हूँ बस!!!
जिसका कोई आधार नहीं है
नहीं है तो बस अहंकार है वो
कुछ साबित करने को नहीं है
किसी से कोई तकरार नहीं है
न मुझे कोई गिला न शिकवा है
अब तो दिल भी बेकरार नहीं है
दुःख दर्द सिलसिला क्या करे
अब तो किसी से प्यार नहीं है
न किसी क़िस्म की जद्दो जहद है
जिंदगी का अब कोई सार नहीं है
अब कुछ भी मुझे दिखाना नहीं है
बस अब मेरा कोई इज़हार नहीं है
न इंतज़ार है अब और किसी का
ज़िंदगी अब शर्मशार भी नहीं हैं
डर भी नहीं लगता लम्बे सफर से
मुझे अब कोई इन्कार भी नहीं है
कोई अपना कोई पराया नहीं है
अब कोई मेरा जाया भी नहीं है
न मेरा कोई सम्मान है अब यहाँ
अब कोई ख़िदमतगार भी नहीं है
न कोई ग़म न ख़ुशी के आंसू हैं
मेरा कोई अब तिरस्कार नहीं है
न कोई अच्छा है न कोई बुरा है
अमीरी ग़रीबी का हिसाब नहीं है
सिर्फ परम शांति है
जिसका कोई शिल्पकार नहीं है
अब क्या देखते हो मैं वही हूँ बस
जिसका कोई आधार नहीं है..... जिसका कोई आधार नहीं है.....
Poet: Amrit Pal Singh Gogia "Pali"
Good one
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