Wednesday 16 September 2015

A-063 क्या रखा है -13.9.15—10.32 AM

A-63 क्या रखा है 13.9.15—10.32 AM 

क्या रखा है 
मंदिर और गुरुद्वारों में 
मस्जिद की चार मीनारों में
चर्च की सभागारों में 
उनकी प्राचीन दीवारों में 

क्या रखा है 
नमन और नमस्कारों में 
पूजा पाठ कर हज़ारों में 
दान-दक्षिणा और उनके नारों में 
धागों और पेड़ों के अवतारों में 
मन्नतों और उनके उतारों में 
प्रसाद भंडारे के निपटारों में 

क्या रखा है 
परिक्रमा के फेरों में 
गुफाओं के अँधेरों में 
शिलाओं के मुंडेरों में 
टीका चन्दन कर बहुतेरों में 
संतों के डेरों में 
प्रवचनों के ढेरोँ में 
उनके सहज स्वभाव में 
उनके चरणों पर झुकाव में 

क्या रखा है 
मस्जिद की चार मीनारों में
उनके पाक इरादों में 
उसकी रंगीन दीवारों में
कुरान की पवित्र आयतों में
नमाज़ की खासी तहजीब में 
उनकी बताई तरतीब में

चादर चढ़े हजारों में  
खड़े रहो कतारों में 
ताबीज़ों के मंत्र पहाड़ों में 
झाड़-फूक और निपटारों में 
मन्नतें मानो हज़ारों में 

क्या रखा है 
चर्च की दीवारों में 
उसकी सभागारों में 
वादों और चमत्कारों में 
गिनती हो हजारों में 
बैठ सुन्दर कतारों में 
प्रार्थना की पुकारों में 

बस वही रखा है जो तेरा विश्वास है 
हर जीव हर इंसान तेरे लिए ख़ास है 
भेद नस्लों की बात केवल विनाश है 
सब तेरे हैं मैं तेरा हूँ यही उल्लास है 

सब तेरे हैं मैं तेरा हूँ यही उल्लास है 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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