न कोई अपना है न कोई बेगाना
किसके लिए लिखना
किसके लिए गाना
हर कोई मोहरा है हर कोई दीवाना
रोना भी कला है हँसना भी बहाना
न कोई गीत है न कोई संगीत है
मतलब निकालना दुनिया की रीत है
दर्द की इन्तिहा का न करे जिक्र कोई
अपनी अपनी निभाये न करे फ़िक्र कोई
दिल के निशां भी किसी काम के नहीं
कोई भी पहुँचा नहीं किसी अंजाम पे कहीं
अश्क न बहा फरियाद न कर
जख्म अपने यूँ खुर्द खराब न कर
क्या दिया क्यूँ न दिया अब याद न कर
किसी की खातिर दम तोड़ने की बात न कर
Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”
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