Tuesday 5 January 2016

A-035 न कोई अपना है 5.1.16—1.44 AM

न कोई अपना है 5.1.16—1.44 AM 

कोई अपना है कोई बेगाना 
किसके लिए लिखना
किसके लिए गाना 

हर कोई मोहरा है हर कोई दीवाना 
रोना भी कला है हँसना भी बहाना 

कोई गीत है न कोई संगीत है 
मतलब निकालना दुनिया की रीत है 

दर्द की इन्तिहा का करे जिक्र कोई 
अपनी अपनी निभाये करे फ़िक्र कोई 

दिल के निशां भी किसी काम के नहीं 
कोई भी पहुँचा नहीं किसी अंजाम पे कहीं 

अश्क बहा फरियाद कर 
जख्म अपने यूँ खुर्द खराब कर 

क्या दिया क्यूँ दिया अब याद कर 
किसी की खातिर दम तोड़ने की बात कर 

Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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