खुश रहो बेशक दूर रहो 17.9.16—10.02 PM
खुश रहो बेशक दूर रहो
उलझन में करीब आया करो
हर ख़ुशी तुमको मुबारक हो
दुःख दर्द हमको सुनाया करो
जो बात तुमको जँचे वो तुम्हारी
जो न जँचे वो मुझे दे जाया करो
वो गम वो परेशानियाँ मुझे दे दो
तुम तो केवल मुस्कराया करो
जज्ब कर लेते हैं हर जख्म को
सारे जख्म हमें दे जाया करो
खुशियों के गीत तो सभी गाते हैं
गमगीन होकर भी गुनगुनाया करो
यूँ तो दूरियाँ बहुत हैं अपने दरमियाँ
थोड़ी और बढ़ाने करीब आया करो
यूँ तो चोली दामन में अच्छे लगते हो
कभी कभी इसके बिना भी आया करो
कभी कभी इसके बिना भी आया करो
Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”
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