कभी ज़रूरत हो तो शम्मअ जला लेना
उसकी रोशनी में थोड़ा सा मुस्कुरा लेना
आँखों की नमी को मुबारक समझ कर
थोड़ा ही सही पर थोड़ा नीर बहा लेना
जानता हूँ बिछुड़ना आसान नहीं होता
बिसरी यादों का रंग थोड़ा बचा लेना
उसी रंग की बदौलत दुनिया बची है
उन्हीं रंगों संग थोड़ा सा मुस्कुरा लेना
कभी नफ़रत भी कोई रंग दिखा न सकी
अपनी चाहत की उमंग थोड़ी जगा लेना
हमने भी तुमको चाहा है सदा के लिए
न चाहो बेशक पर देखकर मुस्कुरा लेना
इतने नगुज़ार नहीं कि कोई चाहे ना हमें
वक़्त आएगा सब्र को थोड़ा आज़मा लेना
तेरे इरादों पर मुझे कोई शक नहीं है मगर
अपने इरादों को थोड़ा सा ऊपर उठा लेना
बहुत मुमकिन है कोई तस्वीर मिल जाये
उस तस्वीर को इक नया जामा पहना लेना
तस्वीर बदलते ही तक़दीर बदल जाती है
'पाली' ने कहा है इसको भी आजमा लेना
Poet: Amrit Pal Singh Gogia
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