Thursday 14 September 2017

A-315 एक तारा खो गया 14.9.17--12.56 AM


आज आसमान में एक तारा खो गया 
कैसे ढूँढू ज़िन्दगी का इशारा खो गया 
कहाँ से लाऊँ बड़े मज़हब से ढूँढते रहे 
आसमां की छत का किनारा खो गया 

देखा था उसे समन्दर की लहरों में भी 
लहरों के खुद का भार सारा खो गया 
उछलती कूदती बेकाबू सी होने लगीं 
जैसे सारा जहां उनका हमारा हो गया 

किस को बतायूँ अपने दिल की बात 
ज़िंदगी का मंझर वो नज़ारा खो गया 
जिसकी खातिर जिया करते थे कभी 
आज उसी से अपना किनारा हो गया 

उतर भी जाते समंदर के गहरे तल पर 
धीरे धीरे समंदर का किनारा खो गया 
छल ने छल से पैंतरा ही  बदल डाला 
भरोसे में भरोसे का भ्रम सारा खो गया 

किनारे पर बैठकर यूँ ढूँढ़ता रहा “पाली” 
जैसे किसी का दर्द अब हमारा हो गया 
उनके जाने का ग़म इतना कभी न हुआ 
जितना आने से वो ग़म हमारा हो गया 

आज आसमान में एक तारा खो गया 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia

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