Monday 26 March 2018

A-357 ढूँढ लाए हम 27.3.18--3.32 AM

A-357 ढूँढ लाए हम 27.3.18--3.32 AM 

तेरी तस्वीरों से तुझको ढूँढ लाए हम 
तेरी नज़रों के बीच बहुत शर्माये हम 
चाँद तारों की रोशनी जब उदित हुई 
कुछ नग्न सितारों को देख पाए हम 

कल तेरे आने से मन को सकूँ आया 
कितना चाहा तुमने बहुत इतराए हम 
तेरा उन पलों को फिर से याद करना 
पल पल तेरी बाहों में रह पाए थे हम 

विदाई की सोच से मैं विचलित हुआ 
अलबत्ता अब तो नहीं सह पायेंगे हम 
पिछली दफ़ा भी तो अंजाम देखा था 
गज़ब ख़िताबों से गए थे नहलाये हम 

फिर मुलाक़ात का वादा करके जाना 
तुमने भी कहा बहुत याद आए थे हम 
काश तुम फिर मेरी तस्वीर बन जाओ 
फिर से एक नयी तस्वीर बनाएंगे हम 

आज भी कितनी अजीज़ हो तुम मुझे 
बड़ी तवज्जो से महसूस कर पाए हम 
तेरा नूरानी चेहरा व आँखों की चमक 
शरबती होंठ भी कहाँ भूल पाए हैं हम 

लगता खेला है गुड्डे गुड्डी का खेल हमने 
दिल की बात आज नहीं कह पाए हम 
तुम भी तो कुछ कहना चाहती थी मुझे 
तुमने कुछ कहा पर नहीं सुन पाए हम 

Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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Thursday 22 March 2018

A-356 तेरा पैग़ाम 23.3.18--3.51 AM

A-356 तेरा पैग़ाम 23.3.18--3.51 AM

बड़ी मुद्दत के बाद भी जब तेरा पैग़ाम आया 
शिकवे रफ़ू होने लगे दिल को मुक़ाम आया 

तुम क्या जानो हम किस क़दर विचलित हुए 
जब कभी किसी मजलिश में तेरा नाम आया 

दिल के तार हिलने लगे संगीत ने की हलचल 
सरगम स्फूरित होने लगी संगीत ने घर बनाया 

क्यों बिसर जाती है दुनिया तेरे ज़िक्र के आगे 
सब छोड़ चले आये हम जब तेरा पैगाम आया 

हम तो अलबत्ता शहादत के लिए तैयार बैठे थे 
तभी तेरा इल्म हुआ और वज़ूद में विराम आया 

बड़ी मुद्दत के बाद भी जब तेरा पैग़ाम आया 

शिकवे रफ़ू होने लगे दिल को मुक़ाम आया 



Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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A-198 एक सवाल 23.3.18--2.40 AM

A-198 एक सवाल  23.3.18--2.40 AM

एक सवाल बार बार आ रहा है 
क्या हुआ सबको चौंका रहा है 

कोई तो है जो खेल खेल रहा है 
उठा उठा उनको दंड पेल रहा है 

किसी को बड़ी उम्र का बताकर 
किसी की बिमारी में उलझाकर 

किसी को प्यार में रगड़ता चल 
किसी को झगड़ों से चलता कर 

किसी ने नज़रों से नज़रें चुराई 
किसी ने दिल को ठेस पहुंचाई 

कोई बन गया आवारा बादल है 
कोई किसी का प्यारा पागल है 

कुछ घट रहा है तुम सो रहे हो 
तुम अपना अस्तित्व खो रहे हो 

घंटी बजाने से पूज्य नहीं होगा 
बेचैनी बढ़ाने से कुछ नहीं होगा 

हर उम्र का अपना ही पड़ाव है  
समझ लेना उसका ठहराव है 

जब जब तुम ऐतराज़ करोगे 
अपने ज़िन्दगी बर्बाद करोगे 

मन की बेचैनी बढ़ती जाएगी 
क्या हुआ समझ नहीं आएगी 

जो आया है उसको आने दो 
उसको अपनी जगह बनाने दो 

दर्द का तुमसे खास रिश्ता है 
दर्द को अपना फ़र्ज़ निभाने दो 

जब दर्द को जगह मिल जाएगी 
ज़िंदगी नर्क से स्वर्ग बन जाएगी 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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Tuesday 20 March 2018

A-179 कुछ भी तो पुराना नहीं 16.9.16—5.46 AM

A- 179 कुछ भी तो पुराना नहीं 16.9.16—5.46 AM 

कुछ भी तो पुराना नहीं तो कैसे मैं अट्हास करूँ
किसकी मैं बात करूँ और कैसे मैं विश्वास करूँ  

किसको मैं याद करूँ और किसकी मैं बात करूँ 
कौन सी कहानी कहूँ ताकि मैं भी परिहास करूँ 

जिसमें कोई आन नहीं हैं जिसमें कोई शान नहीं 
जिसमें कोई इन्सान नहीं अपनों की पहचान नहीं

जहाँ जान पहचान नहीं कैसे मैं उसको यार कहूँ 
किसके संग मैं रात रहूँ जिसको भी मैं प्यार करूँ

जहाँ कोई माँग नहीं हमारे कुछ दरमियान नहीं है 
किसको जज्बात कहूँ मेरा कोई इम्तिहान नहीं है 

कैसे कोई गीत गाऊँ जिसका कोई आधार नहीं है 
मैं भी अब कैसे मुस्करायूँ अदद कोई राज़ नहीं है 

जहाँ कुछ भी पुराना नहीं वहाँ कतई प्यार नहीं है 
जिद्द ज़िल्लत नहीं है तो वहाँ कोई इज़हार नहीं है 

खुल कर निखरना है तो कुछ ढूँढ कर लाना होगा 
गिलों शिकवों के साथ ही प्यार को जाताना होगा 


Poet: Amrit pal Singh Gogia “Pali”

Monday 19 March 2018

A-350 मेहमान 25.12.17--7.36 AM

A-350 मेहमान 25.12.17--7.36 AM

कल जब आप लोग आये थे ख़ुशियों का ख़ज़ाना लाये थे 
मैं एक एक कर बटोरता गया आप देते हुए भी मुस्कुराए थे 

आप लोग भाव भींगे इंसान हैं आप अतिथि नहीं भगवान हैं 
आपका आना अहो भाग्य है हमारी ज़िंदगी का सौभाग्य है 

आपके आने से मिलता जो मान है हमको होता अभिमान है 
हर कोना कोना महक उठता है परदों का हो जाता स्नान है

बेचारे कब का आलस संजोय हुए अच्छी नींद लिए रहते हैं 
जब भी आप आ जाते हो तो जीने का अंदाज़ लिए रहते हैं 

जिसको कभी किसी ने जगाया नहीं, वो भी जाग जाते हैं 
आपके आने से उनके भी समस्त भाग्य द्वार खुल जाते हैं 

घर की हरेक नुक्कड़ को आपके आने का इंतज़ार रहता है 
आपके आने से उनकी धुलाई होती है और दमदार रहता है 

जिस घर में आप नहीं आते उसमें दरिद्रता समा जाती है 
न घर में प्रेम रहता है न ख़ुशी रहती है न बीमारी जाती है 

जहाँ जहाँ आप जाते हो वहां रिश्तों का निर्माण होता है 
सच है अतिथि या भगवान का आना एक समान होता है 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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