A-350 मेहमान 25.12.17--7.36 AM
कल जब आप लोग आये थे ख़ुशियों का ख़ज़ाना लाये थे
मैं एक एक कर बटोरता गया आप देते हुए भी मुस्कुराए थे
आप लोग भाव भींगे इंसान हैं आप अतिथि नहीं भगवान हैं
आपका आना अहो भाग्य है हमारी ज़िंदगी का सौभाग्य है
आपके आने से मिलता जो मान है हमको होता अभिमान है
हर कोना कोना महक उठता है परदों का हो जाता स्नान है
बेचारे कब का आलस संजोय हुए अच्छी नींद लिए रहते हैं
जब भी आप आ जाते हो तो जीने का अंदाज़ लिए रहते हैं
जिसको कभी किसी ने जगाया नहीं, वो भी जाग जाते हैं
आपके आने से उनके भी समस्त भाग्य द्वार खुल जाते हैं
घर की हरेक नुक्कड़ को आपके आने का इंतज़ार रहता है
आपके आने से उनकी धुलाई होती है और दमदार रहता है
जिस घर में आप नहीं आते उसमें दरिद्रता समा जाती है
न घर में प्रेम रहता है न ख़ुशी रहती है न बीमारी जाती है
जहाँ जहाँ आप जाते हो वहां रिश्तों का निर्माण होता है
सच है अतिथि या भगवान का आना एक समान होता है
Poet: Amrit
Pal Singh Gogia “Pali”
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