क्यों कर छिपना है क्या छिपाना है मुझे
तू मेरी तक़दीर है यही तो बताना है मुझे
तेरे चेहरे पर कैसी शर्म और हया होगी
एक एक कर सबकुछ दिखाना है मुझे
तू दिखती है शम्मआ यह बुझे न कभी
बेशक़ बनना पड़े गर परवाना न मुझे
तन्हा हुआ है मुकद्दर भी आबाद करूँगा
यह करिश्मा भी कर के दिखाना है मुझे
दावे कितने हैं सच्चे नहीं समझ पाओगे
कितना प्रतिबद्ध हूँ मैं ये दिखाना है मुझे
मेरी रहबर बनी थी अब मेरा प्यार है तू
एक पल भी कटता नहीं जताना है मुझे
यह सच ये है कि आखिरी इंतज़ार है तू
इस इंतज़ार के नतीजे तक जाना है मुझे
आ जाओ बैठ जाओ मेरे सानिघ्य होकर
कुछ मौन होकर संकेतों से बताना है मुझे
यह अंतिम विदाई है जान ले तू पाली अब
कोई नहीं अपना सब झूठ है बताना है मुझे
Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”
Very beautiful lines
ReplyDeleteSuperb poem
वफ़ा का दरिया कभी रुकता नहीं,
ReplyDeleteइश्क में प्रेमी कभी झुकता नहीं,
ख़ामोश हैं हम किसीकी खुशी के लिए,
ना सोचो कि हमारा दिल दुखता नहीं।