Monday 15 August 2016

A-050 कभी तुम हमारे घर 15.8.16—8.08AM

 कभी तुम हमारे घर 15.8.16—8.08AM

कभी तुम हमारे घर 
कभी हम तुम्हारे घर 
आया जाया करेंगे
कभी तुम चाय पिलाना कभी हम पिलाया करेंगे 

क्या हुआ जो हम जुदा हो गए 
कभी कभी अफसाने भी सुनाया करेंगे 

लड़ते झगड़ते इतनी दूर निकल आये हैं 
कभी कभी दोस्त भी बन जाया करेंगे 

दर्द का एहसास जितना भी गहरा हो 
मलहम भी कभी कभी लगाया करेंगे 

आँखों में आंसूओं का समुन्द्र रहे तो रहे 
फिर भी कभी कभी मुस्कराया करेंगे 

यादों की लम्बी कतार हो तो क्या 
कुछ लम्हें गीतों संग भी बिताया करेंगे 

गीले शिकवे तो पहले भी हुआ करते थे 
अब कुछ नए तरीके से निपटाया करेंगे 

जिंदगी के चन्द खूबसूरत पलों के समेटे 
कभी कभी गले भी लग जाया करेंगे 

हम इतने बुरे तो अब भी नहीं हैं  
जब भी बुलाओगे हम भी आ जाया करेंगे


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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