कभी तुम हमारे घर
कभी हम तुम्हारे घर
आया जाया करेंगे
कभी तुम चाय पिलाना कभी हम पिलाया करेंगे
क्या हुआ जो हम जुदा हो गए
कभी कभी अफसाने भी सुनाया करेंगे
लड़ते झगड़ते इतनी दूर निकल आये हैं
कभी कभी दोस्त भी बन जाया करेंगे
दर्द का एहसास जितना भी गहरा हो
मलहम भी कभी कभी लगाया करेंगे
आँखों में आंसूओं का समुन्द्र रहे तो रहे
फिर भी कभी कभी मुस्कराया करेंगे
यादों की लम्बी कतार हो तो क्या
कुछ लम्हें गीतों संग भी बिताया करेंगे
गीले शिकवे तो पहले भी हुआ करते थे
अब कुछ नए तरीके से निपटाया करेंगे
जिंदगी के चन्द खूबसूरत पलों के समेटे
कभी कभी गले भी लग जाया करेंगे
हम इतने बुरे तो अब भी नहीं हैं
जब भी बुलाओगे हम भी आ जाया करेंगे
Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”
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