Saturday 6 August 2016

A-040 किसकी शिकायत करूँ 3.8.16—7.30AM

किसकी शिकायत करूँ 3.8.16—7.30AM


किसकी शिकायत करूँ जो मेरे अपने हैं
अगर वो अपने हैं तो वही तो मेरे सपने हैं

औरों की शिकायत करने से क्या फ़ायदा
जिनसे लेने देना भी नहीं फिर क्या कायदा

शिकायत तो उनकी की जाती हैं जो
अपने होते हैं और जो सपने पिरोते हैं

जिंदगी के सारे सुख दुख भी सहते हैं
सबकुछ सहते हुए हमारे साथ रहते हैं

एक ही खिलौने से खेल संग ही रोये थे
माँ के आँचल में भी एक साथ सोये थे

नंगे हो पोखर में साथ साथ नहाये थे
लड़ाई झगड़े हमने वहीँ पे निपटाए थे

है कोई माई का लाल गल्ती गिना सके
किसकी हिम्मत जो हाँथ भी लगा सके

वही भाई है जिसको खूब खेल खेलाये थे
अपने ही खिलौने से हम चुप भी कराये थे

आज क्या हो गया वो रिश्ता ही खो गया
काश लड़ पाते पर वह संजोग ही सो गया

जुबान चलती नहीं लगता साँप सूँघ गया
मेरा प्यारा सा भाई जाने कहाँ छूट गया

इससे तो वही अच्छा था लड़ते थे झगड़ते थे
प्यार भी करते थे "पाली" साथ साथ रहते थे

प्यार भी करते थे "पाली" साथ साथ रहते थे

Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”
  

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