मुझे शिकायत है 4.8.16—6.32AM
हाँ मुझे शिकायत है तुमसे 
मेरा क्या हाल बना रखा है 
मैं इतनी सुन्दर सुदृढ़ हूँ 
ताज दूसरे को पहना रखा है 
मैं इतनी अक्लमंद हूँ 
रानी किसी और को बना रखा है 
तुमको मुझमें क्या खोट दिखा 
सारा धन उसको पकड़ा रखा है 
करती वह कुछ नहीं 
मुझे नौकरानी बना रखा है 
मैं अपनी किस्मत को कोसती हूँ 
मैं पैदा ही क्यूँ हुई 
पैदा होते ही मर ही क्यूँ न गयी 
मैं सड़ती तड़फती रहती हूँ 
उसको सर पे बैठा रखा हैं 
अब तो तेरी नीयत पर भी शक होने लगा है
इतनी नजदीकियां भी अच्छी नहीं 
शायद तुमको मुझसे कुछ काम है 
इसीलिए तुमने मुझे फँसा रखा है 
मुझे अपनी अर्चना में लगा रखा है 
तुमको कोई और मिलता नहीं है क्या 
सारा ध्यान मुझमें लगा रखा है 
शायद………..! 
मैं समझ ही नहीं पाई थी 
कि तुमने मेरी योग्यता को जाना है 
कि तुमने मुझे सही पहचाना है 
कि तुम मुझे इतना चाहते हो 
मुझे तुम अपने जैसा बनाना चाहते हो 
तुम जैसा बनने के लिए तो 
इन कठिनाईयों का मुकाबला करना ही होगा
वर्ना इस राज्य का कैसे संभलना होगा
मुझे अब समझ आया सब सीखना होगा 
तभी तो………..! 
समझ गयी तुम मेरे सबसे प्यारे 
निर्मल न्यारे मेरे कृष्णा कन्हैया हो
तुम ही मेरे प्रभु तुम ही मेरे सैयां
हो 
मुझे माफ़ करें वन्दना स्वीकार करें
मुझे अंगीकार करें मुझे अंगीकार करें
Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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