Wednesday 10 August 2016

A-049 जब मैंने बोला I love You 10.8.16—7.53AM


जब मैंने बोला I love You 10.8.16—7.53AM

जब मैंने बोला I love You 
तो पता लगा कि मैं झूठ बोल रहा हूँ 
झूठ बोलने की इस रवायत को 
मैं खुद ही तौल रहा हूँ  
प्यार तो कभी किया ही नहीं 
सिर्फ जज्बातों को फरोल रहा हूँ 

इस शब्द का अर्थ कभी जाना ही नहीं 
फिर यह झूठ क्यों बोल रहा हूँ  

प्यार तो सोनी महिवाल ने किया था  
हीर और राँझा ने किया था 
जिंदगी बद से बदत्तर हुई 
और स्वीकार किया था 
सौ मुसीबतें सर पे आयी 
फिर भी इकरार किया था 
मौत का खंझर भी उनको रोक न सका  
ऐसे अपने प्यार को स्वीकार किया था 

हमने सुन्दर नार क्या देखी
I love you का बोर्ड लगा दिया 
एक दिन तकरार क्या हुई 
बस बोर्ड हटा दिया 
फिर ढूँढ़ते रहे रिश्ते Sorry के बहाने से 

अभिप्राय तो शरीर को पाना था 
बाकी तो सब झूठ बहाना था 

इस छिछोरेपन को तुम प्यार कहते हो  
शर्म भी नहीं आती जब इजहार करते हो  
कैसे भद्र महापुरुष हो तुम  
जीवन का संघार करते हो  
और कहते हो कि तुम प्यार करते हो  

प्यार एक अदब है 
धर्म का दूजा नाम है  
करीब न रहकर भी 
करीब रहना उसका काम है 
प्यार करने की अवस्था नहीं  
कुछ होने का नाम है 
जहाँ कोई अपेक्षा नहीं  
किसी का हो जाना ही अंजाम है  


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

6 comments:

  1. Patta hai pyar ibadatt hai Jo karni mushkil hai

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    1. Well said! I appreciate but Everything is possible inside of "Who You Are"

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  2. Replies
    1. I am sorry! My communication went wrong. I didn't ask your name rather it is about one's way of being "Who you are?" Like Being committed!, Being Sincere!, Being Loving! at times we use to be something & that is important in any relationship! any how, thanks for your reply!

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