Monday 8 October 2018

A-405 भरोसा 1.10.18--6.07 AM

मत कर भरोसा आज के ज़माने का 
एक नशा है इनको पैसा कमाने का 
ज़िंदगी जम्हूरियत की होनी चाहिए 
रिश्तों की अहमियत को न जताइए 

पैसा इनका दीन और वही ईमान है  
दिल को होना पड़े बेशक़ बेईमान है 
नहीं रखेंगे वास्ता जद्दो जहद के संग 
ढूंढना है रास्ता जो वाक़ई आसान है 

ज़िन्दगी जीने के लिए पैसा चाहिए 
इसके लिए बेशक दुनिया नचाइये 
न करो शर्म न करो चिन्ता हया की 
मनचाहा रिश्ता नौकरी में दया की 

क्या हुआ जो रिश्ते ही कुचल डाले 
ग़र रास्ते में आया कोई मसल डाले 
मंज़िल तक पहुँचने की लालसा में 
कुछ दाने जो कच्चे ही निगल डाले 

थोड़ी बदहज़मी मुझे जताने लगी है 
मेरी चाल भी अब डगमगाने लगी है 
छोड़ आयी जिसे चन्द पैसों के लिए 
उनकी याद मुझे अब सताने लगी है 

Poet: Amrit Pal Singh ‘Gogia’


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