Wednesday 24 October 2018

A-409 शिक़वा 22.10.18--8.17 AM

नहीं चाहिए मुझे अब तेरा कोई भी बहाना 
आना हो तो ख़ुद आ जाना वर्ना मत आना

न तो कोई इन्तज़ार होगा न बेक़रारी होगी
न तो कोई आवभगत न कोई तिमारी होगी 

न कोई ज़िरह होगी पर बात तुम्हारी होगी 
तुमको तड़पाऊँगा मरोगी जिद्द हमारी होगी 

जो बात नहीं होगी वह भी तो तुम्हारी होगी 
शिकायतें क्यों करूँ वह भी मक्कारी होगी 

क्या लगता है नहीं आओगी तो मर जाऊँगा 
और तेरी याद में दुखी होकर तड़प जाऊँगा 

एक तो मैं मरता नहीं मर गया मुकुरता नहीं 
तेरी याद में भी अब मैं कुछ और करता नहीं 

ग़र मर भी गया तो तुमको बहुत सताऊँगा 
सारा हिसाब लूँगा और तुमको तड़पाऊँगा

तुमको कितना प्यार किया यह मैं बताऊँगा 
सारा का सारा हिसाब चुकता कर जाऊँगा 

Poet: Amrit Pal Singh ‘Gogia’

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