Sunday 21 October 2018

A-408 स्पर्श 20.10.18--5.16 AM

तेरी बातों का स्पर्श भी बहुत कुछ कह गया 
कुछ तेरे दिल का दर्द कुछ मैं खुद सह गया 

तेरी अदाओं का स्पर्श बेशक सुदूर ले गया 
पर बंद आँखों में एक सपना जरूर दे गया

इक तो तेरा साथ व् हाथों में हाथ रह गया  
और मैं गर्मजोशी से अपनी बात कह गया 

तेरे हाथों का स्पर्श मुझे बहुत दूर ले गया 
कई शहरों में घूमा पर अपना गरूर दे गया 

मोहब्बत में साथ होना भी तो एक जश्न है 
हमारा साथ होना भी आपका ही टशन है  

चाहे जितना भी शरारती होठों का ग़रूर है 
मेरा भी साथ होना ही तो तेरा यह शरूर है

जब धुन हो जज़्बाती और नयन भी शराबी  
नहीं रोक पायूँगा चाहे कैसी भी हो खराबी

तेरे श्वासों का स्पर्श मुझे प्रसन्न कर गया
उसके बिना जीना दूभर अवसन्न कर गया 

दिल की तमन्ना ने तन्मयता से जोड़ दिया 
हमने स्वयं का जीवन तुझपे ही छोड़ दिया 

Poet: Amrit Pal Singh ‘Gogia’


5 comments:

  1. उनका मिलना भी एक खूबसूरत कहानी होगी
    उनका प्यार पाना ही ज़िन्दगानी होगी
    मुस्कुराहट भी उनके दमसे से होगी
    अगर वोह दर्द भी दें तो उनकी मेहरबानी होगी

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    1. आप भी खूब लिखते हैं अरोरा साहब! आपका बहुत बहुत धन्यवाद!

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