Friday 14 August 2015

A-052 मैं अब बड़ी हो गयी हूँ-13.8.15—10.33 PM


मैं अब बड़ी हो गयी हूँ-13.8.15—10.33 PM


मैं स्कूल से दौड़ी दौड़ी आयी                        Winter
ठण्ड के मारे मैं बहुत घबराई
उसको भी मैं अंदर बुला लाई
हमने पी गर्म दूध और मलाई

हमने थोड़ी करनी थी पढ़ाई
उसने मुझे  एक बात बताई
उसकी बात समझ में आई
मैंने देखा मम्मी थी घबराई

उसके जाते ही मम्मी ने डांट लगाई
यह बात भी बताई कि…..मैं अब बड़ी हो गई हूँ

स्कूल ने सरस्वती पूजा कराई                          Spring
खूब लड्डू बटें खूब बटीं मिठाई
हमने सबने मिठाई खूब उड़ाई
रंग भी छिड़का अबीर भी उड़ाई

कपडे मेरे रंगों से भर गए थे
मेरे साथी भी मेरे संग गए थे
ख़ुशी के मारे झूमे जा रहे थे
हँसते खेलते गाने गा रहे थे

तभी मम्मी ने मुझे एक आवाज लगाई
यह बात भी बताई कि…..मैं अब बड़ी हो गई हूँ

स्कूल से पढ़कर घर को आते हुए                   Summer
आपस में सबकुछ समझाते हुए
मौज मस्ती संग गाने गाते हुए
अपने काम रास्ते में निपटाते हुए

पसीने से लथपथ मैं परेशान थी
कपडे निचड़ते देख मैं हैरान थी
दो मिनट उसके घर पानी पिया
मम्मी राह देखती परेशान थी

तभी मम्मी ने फिर से डांट लगाई 
यह बात भी बताई कि…..मैं अब बड़ी हो गई हूँ

बारिश काफी हैं मुझे बहकाने के लिए                 Rainy
मैं भी दौड़ गयी मैदान में नहाने के लिए
उछलती भागती मैं छलाँगें मारती
जुटी हुई थी गर्मी मिटाने के लिए

उसपे उछाला हमने भी बारिश का पानी
उसने भी बुक भरी और करी मनमानी
मैं गिरी और उसने चोट भी लगाई थी
ये बात जब मैंने मम्मी को बतायी थी

तभी मम्मी ने फिर से डांट लगाई 
यह बात भी बताई कि…..मैं अब बड़ी हो गई हूँ

त्योहारों का शरद मौसम आ ही गया                    Autumn
दशहरा दीवाली भाई दूज छा ही गया
हमने भी तैयार होकर पहुँच गए मेले में
पापा मम्मी छूट गए डर गए अकेले में

भागती फिरती तभी उससे मुलाकात हुई
जान में जान आयी और थोड़ी बात हुई
पापा ने देख लिया उसके साथ जाते हुए
उसको विदा किया थोड़ा मुस्कराते हुए

तभी मम्मी ने फिर से डांट लगाई 
यह बात भी बताई कि…..मैं अब बड़ी हो गई हूँ

हल्की फुल्की सर्दी प्यारी लगती है                        Fall Winter   
दोस्तों की हर बात न्यारी लगती है
धूप सेंकने की बात जब आयी है
मम्मी की कड़क आवाज आयी है

अकेले तुमने छत पर जाना नहीं  
किसी को देखकर मुस्कराना नहीं
मन की बात किसी को बताना नहीं
किसी पर भरोसा अब जताना नहीं

यह बात मम्मी ने बड़े प्यार से समझाई है
यह बात भी बताई कि…..मैं अब बड़ी हो गई हूँ

Poet; Amrit Pal Singh Gogia “Pali”
























                                                   

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