Dedicated to my lovely mother Smt. Harbhajan Kaur.
She left for heaven on 15.9.14
She left for heaven on 15.9.14
माँ आज तूँ कहाँ है.............?
तूँ तो चली आती थी
हँसती थी मुस्कराती थी
गुस्सा भी दिखाती थी
चीखती चिल्लाती थी
कभी गले से लगाती थी
मगर आती थी पर
माँ आज तूँ कहाँ है.............?
मुझे याद है ……………….
जब मैं तेरी कोख में मुस्कराया था
तुमने भी खूब जश्न मनाया था
तुमने भी मुझसे बड़े वायदे किये थे
प्यार भी तुमने बहुत जताया था पर
माँ आज तूँ कहाँ है.............?
एक पल भी मुझसे जुदा न होती थी
बाकी सब कुछ तेरे लिए पराया था
बहुत मजा आता था हिलकर हैरान कर
तूँ तो सोई होती थी तुमको परेशान कर
जब कभी मैं चुप होकर सो जाता था
जान तेरी निकलती थी
मन तेरा घबराता था
अरे आज भी मैं चुप हूँ
और आज भी परेशान हूँ
मगर मैं हैरान हूँ कि
माँ आज तूँ कहाँ है.............?
मुझे याद है ……………….
जब मैं दौड़ने लग पड़ा था
कितनी बार गिरा
कितनी बार अड़ा था
कितनी चोटें भी खाई थीं
तुमने भी करी पिटाई थी
जब मैंने गुस्से से मुँह फुलाया था
तुमने मुस्करा कर मुझे मनाया था
आज भी गुस्से से भरा पड़ा हूँ पर
माँ आज तूँ कहाँ है.............?
भूख से जब भी जान निकलती थी
एक मिनट भी तूँ दम नहीं धरती थी
चूरी कूट कूट निवाला भरती थी
एक आवाज पर बार बार मरती थी
आज भी भूखा हूँ तेरे प्यार का पर
माँ आज तूँ कहाँ है.............?
जब नींद मुझे नहीं आती थी
तो मुझको लोरियाँ सुनाती थी
आज भी नींद नहीं आती है
पर तूँ क्यों नहीं बताती है कि
माँ आज तूँ कहाँ है.............?
मुझे याद है ……………….
स्कूल से जब मैं आया करता था
तुमको बहुत सताया करता था
बैग यहाँ और कपड़े वहाँ
और खुद भाग जाया करता था
कान पकड़ कर तुम मुझे लाती थी
दूध का गिलास हाथ में थमाती थी
गुस्से से घूरती, मुझे तूँ डराती थी
दूध पीने पर तूँ मुस्कराती थी
प्यार से अपने सीने तूँ लगाती थी
मैं फिर से भाग जाता था
और तूँ पीछे पीछे आती थी पर
माँ आज तूँ कहाँ है.............?
अपने आप से भागा फिरता हूँ
हर किसी से आज मैं डरता हूँ
अब क्यों तूँ नहीं आती है
क्यों नहीं मुझे बताती है
माँ आज तूँ कहाँ है.............?
मुझे याद है ……………….
जब मैंने पहली चोट खाई थी
तूँ बहुत घबराई थी
चुनरी फाड़ कर चोट पर लगाई थी
चुनरी तेरी खून से भर आयी थी
आनन फानन में तुमने सब कर डाला था
फिर बड़े प्यार से डाला एक निवाला था
अपनी गोदी में उठाकर, मुझे समझाकर
फिर अपनी गोद में ही सुलाया था
कितनी बार चूमा और कितनी बार थपथपाया
था
माँ आज भी मैं चोट खाये बैठा हूँ
कहाँ से लाऊँ तेरी चुनरी, तेरा प्यार
वो गोद का उपहार
क्यों नहीं मुझे बताती है कि
माँ आज तूँ कहाँ है.............? माँ
आज तूँ कहाँ है.............?
Poet; Amrit Pal Singh Gogia “Pali”
Wat a tribute to the Mother, great Gogia Sahib
ReplyDeleteWat a tribute to the Mother, great Gogia Sahib
ReplyDeleteawesome ji
ReplyDeleteawesome ji
ReplyDeleteV.nice....moved by it
ReplyDeleteNice tribute to mother
ReplyDeletePrabhjot singh
Nice tribute to mother
ReplyDeletePrabhjot singh