Monday 3 August 2015

A-002 आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है-18-4-15-7:29 AM

Dear All,
I was passionate about writing poems in my childhood & I was distracted by earning money. And now after 45 years my passion came back with my kavita. I hope you will also enjoy with my Kavita. Gogia 


आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है     
पलकें नीचें हैं, थोड़ी घबराई है       
थोड़ी शरमाई है, घूँघट में आई है    
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है     
           
मेरी कविता का आना कोई अक्स्माती नहीं है
कई तूफानों के घेरे और कोई वाकिफ नहीं है
पता नहीं कितने थपेड़े वो सहती आई है       
कितनी चोटें खा कर फिर भी मुस्कराई है
           
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है     
           
एक कदम उसने जब मेरी और बढ़ाया है      
मन उसका एक बार तो बहुत घबराया है      
घबराहट भी दिखती है उसके पसीने में         
बेचैनी भी नज़र आती है उसके सीने में         
           
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है     
           
जाऊँ अब पूछती है, पर्दा कर इशारे से
कोई देख ले, मर जाऊँ शर्म के मारे से
तुम क्या जानो, जानू, लज्जा क्या चीज़ होती है
औरत का एक ही तो धन है, जब वो करीब होती है
           
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है     
           
उसको देख कर तो चाँद भी मुस्कुराया है
वो संगीत, वो नगमा, बस आया की आया है 
क्या करेगी वहां किसी की पायल की झंकार
खुदा खुद.. जहाँ अपनी सुध बुध खोकर आया है
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है     
           
गज़ब का शरूर है उसकी निगाहों में
उसका देखना, चले आना मेरी बाहों में         
बाहों में आना भी बना एक अफ़साना है        
पता है क्यों, क्यूंकि ये रिश्ता बहुत पुराना है
           
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है     
           
बाहों में आना फिर समाना और फिर भूल जाना
सीने से लगी, और उसकी निगाहों का नम होते जाना
धीरे से फिर पलकों को ऊपर उठाना और बताना
मुक्कों से गुस्से का इज़हार कर कहना और सताना
           
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है     
           
आज मुझे एहसास हुआ इसके तनहा होने का           
इसकी तड़प, इसका दर्द, इसके आंसू पिरोने का
कभी जाना ही नहीं की करीबी किसको कहते हैं
किसके संग रहना है और किसके संग रहते हैं
           
खो ही जाती मेरी कविता दुनिया के मेले में
शुक्र है खुदा का मिल गयी मुझे अकेले में
इसका मिलना और ये तोहफा जैसे कोई हसीना है
मेरे दिल की बात करो ये भी कितना….. कमीना है
           
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है     
पलकें नीचे हैं, थोड़ी घबराई है       
थोड़ी शरमाई है, घूँघट में आई है    
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है     


2 comments:

  1. Very nice... Keep up the good work .... It needs improvement here n there... But it's a good start

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  2. uncle ji its amazing......another hidden talent of yours

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