Monday, 18 July 2016

A-039 कहाँ जा रहे हो 1.3.16—10.01 AM

 
कहाँ जा रहे हो 1.3.16—10.01 AM

कहाँ जा रहे हो
कहाँ जाना है
जिंदगी तो यहीं है
बाकी सब अफ़साना है

एक तनमय संगीत है
कोई शब्द है
कोई गीत है
इसमें कोई हार है
इसमें कोई जीत है

आयो कुछ तुम गायो
कुछ हम गाते हैं
आज मिलकर हम
एक नयी धुन सजाते हैं

चन्दा की रौशनी में
तारों की छाँव में
तारे टिमटिमाते हो
मामा जी मुस्कराते हों

रात अँधेरी हो
सुबह की फेरी हो
अमावस के गाँव में 
अन्धेरे के पाँव में

रिमझिम की बारिश हो
तपश को खारिश हो
हवा के झोंके हो
रास्ता कोई रोके हो

दिन चढ़ आया हो
सूरज घबराया हो
गुस्से के मारे वो
बरपाने आया हो

संध्या का भाव हो
सुन्दर कटाव हो
सूरज ढलता फिरे
चाहे मनमुटाव हो

मंदिर फिर भी सजता है
घड़ियाल फिर भी बजता है
ब्रह्मा फिर भी आते हैं
नया संगीत भी सुनाते हैं

जिंदगी का यही ताल हैं
यही सुर है यही कमाल है

आयो कुछ तुम गायो
कुछ हम गाते हैं
आज मिलकर हम
एक नयी धुन सजाते हैं

आज मिलकर हम
एक नयी धुन सजाते हैं

Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali” 

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