Tuesday 5 July 2016

A-082 तेरी खामोश निगाहें 25.5.16—4.00 AM

A-082 तेरी खामोश निगाहें 25.5.16—4.00 AM 

तेरी खामोश निगाहें कुछ कहना चाहती हैं 
उनको कहने दो 
तेरे चेहरे की उदासी कुछ सहना चाहती है 
उसको सहने दो 
तेरे ये जज्बात थोड़ा उमड़ना चाहते हैं 
इनको उमड़ने दो 
तेरी आँखों की नमी नम होना चाहती है 
इसे नम होने दो 
तेरे नीर भरे नयन शायद बहना चाहते हैं 
इनको बहने दो 


तेरे उलझते हुए गेसू थोड़ा उलझना चाहते हैं 
इनको उलझने दो 
तेरे काँपते हुए होंठ कुछ कहना चाहते हैं  
इनको कहने दो 
तेरा मन की तड़प तोहमत लगाना चाहती है 
इसको लगाने दो 
तेरे अंदर का जज्बा थोड़ी आज़ादी चाहता है 
इसको आज़ाद होने दो 
तेरे दिल के अरमान थोड़ा उड़ना चाहते हैं 
इनको उड़ने दो 

मत रोको अपने किसी भी अदब को 
हर अदब को आज मेरे पास आने दो 

गले लगाना चाहता हूँ हर अदब तेरा 
यही प्यार है उनको गले लग जाने दो 

थोड़ा ख़ुद से प्यार करो ऐतबार करो 
थोड़ा मुस्काओ ख़ुद का इज़हार करो 

थोड़ा ख़ुद को स्वीकार करो जाने दो 
ज़िंदगी स्वयं आ जाएगी उसे आने दो
…………………… उसे आने दो


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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