Wednesday 13 July 2016

A-137 वो खूबसूरत है 13.7.16—8.02 AM

वो खूबसूरत है 13.7.16—8.02 AM

वो खूबसूरत है मुझे चाहती है
वो खूबसूरत है उसे मैं चाहता हूँ

ये चाहत का सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा
कौन किसको चाहता है कब क्यूँ कैसे कहेगा
मुकद्दर है उसका या बन के आई किस्मत मेरी
इसका फैसला कौन कब क्यूँ और कैसे करेगा

उसके वो नैन नक्श और वो मखमली उभार
कर देते हैं पागल छोड़ देते हैं बीच मझधार

मैं भी ढूँढता हूँ तरतीब उसको पास बुलाने की
कौन सी वजह होगी उसकी मेरे पास आने की

उसका करीब आना मुझे और भी सताता है
न छुऊँ तो मुश्किल छू लूँ तो जी घबराता है
अब कैसे करूँ खुद पे काबू तुम ही बताओ
आगे बढूँ तो दिया हुआ वायदा टूट जाता है

मोहब्बत का सबब इतना आसान नहीं है
मन भी बेचैन है और कोई ईमान नहीं है
मैं इबादत करूँ या उसका सजदा करूँ
दिल पर काबू करना भी कुर्बान नहीं है

उसका प्यारा सा दिल केवल खून से भरा है
फिर कैसे कहूँ कि यह दिल उसी पे मरा है
उसके दिल में कोई जगह खाली भी नहीं है
छोटी सी बगिया का कोई माली भी नहीं है

दिल से हटकर देखा तो एक हसीन सपना है
दूर रहकर भी कुछ करीब कोई तो अपना है
हर मोड़ पर मुझे उसका प्यार नज़र आता है
उसका करीब आना मुझे भी तो बहुत भाता है

परदे के पीछे से निकल मुस्कराते हुए आना
लचक लचक के चलना लहराते हुए आना
उसका गिलहरी फुदकना चहकते हुए आना
बल खाते हुए गिरना और बाँहों में चले आना

उसका यूँ चले आना मदहोश किये देती है
कामुक सी पतली टांगें बेचैन किये देती हैं
यूँ थिरक कर आने का न पूछो कोई सबब
क्या बतायूँ दिल का क्या हाल बना देती हैं

बात इतनी सी है ..........
वो खूबसूरत है मुझे चाहती है
वो खूबसूरत है उसे मैं चाहता हूँ


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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