Saturday 16 July 2016

A-041 न हम हारे हैं न तुम हारे हो 15.7.16-6.57AM


न हम हारे हैं न तुम हारे हो  15.7.16-6.57AM

न हम हारे हैं न तुम हारे हो 
बस किस्से कहानियों के मारे हो 

कौन सी कहानी गढ़ते हो 
दिन रात उसी पे चढ़ते हो 
उसी जंगल में तो रहते हो 
नित्य वही कबाड़ा सहते हो 

अपनी उदासी का सबब भी
तुम्हीं तो सुनाते रहते हो 
शब्दों की बेजोड़ माला भी 
तुम्हीं तो बनाते रहते हो 

जिसका भरोसा बन आता है 
तुम उसको जिताते रहते हो 

जिसने थोड़ी बदशकुनि करी 
तुम उसको हराते रहते हो 

जिसको तुम दिल से चाहते हो 
उसके लिए जान छिड़कते हो 
जब कोई नाशुक्रा हो जाता है 
फिर जान लगाकर लड़ते हो 

झूठे सच्चे को दावत देते हो 
रोकर भी दिखावे में रहते हो 
कोई हँसता है तो हँसते हो 
कोई रोता है तो रो देते हो 

चापलूसी में सर झुकाए रहते हो 
पता नहीं क्या कुछ कितना सहते हो 

ये मतलब भी तुमने ही निकाले हैं 
वो झूठे हैं या सच्चे दिलवाले हैं 

नित्य पाठ भी तुम्हीं तो करते हो 
उसी में जीते हो उसी में मरते हो 

बड़े से बड़े काम भी तुमने सँवारे हैं  
हारे हुए शब्द भी तुमने ही उच्चारे हैं  

जैसा जैसा तुम कहते जाते हो 
ठीक वैसा वैसा ही तुम पाते हो 

जब जब तुमने कहा मैं उदास हूँ 
जब जब तुमने कहा मैं ख़ास हूँ 
जब जब तुमने कहा मैं बिंदास हूँ 
जब जब तुमने कहा मैं सर्वनाश हूँ 

किस्से कहानियों को तुमने ही गढ़ा था 
वही तो मिला है न जो तुमने पढ़ा था 

चलो............
आज नयी कहानी गढ़ते है रिश्तों में प्यार की 
दुनिया को जीतने की हर किसी के दीदार की 
कुछ अपनी भी सुनेंगे कुछ सुनेंगे अपने यार की 
न रहेगा कष्ट कोई न रहेगी घडी भी इंतज़ार की 

एक ही नदिया बहेगी और वो होगी हमारे प्यार की 
एक ही नदिया बहेगी और वो होगी हमारे प्यार की 


Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

1 comment:

  1. Na haar hai na jeet hai.Use apna lo Jo Jeevan ki reet hai.

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