न किसी से शिकवा 13.8.16—10.47 PM
न किसी से शिकवा
न किसी से शिकायत
जिक्र भी नहीं करना
न किसी को हिदायत
मैंने ही चुना है तुमको
यही बनेगी रवायत
हम से ही शुरू होगी
एक नयी कवायत
तुम ही मेरी जान हो
तुम ही मेरी शान हो
तुम ही मेरी जिंदगी
तुम ही पहचान हो
मुकद्दर का मिलन है
शहनाईयों का मेला
कौन पूछे किसी को
जब कोई हो अकेला
यूँ गुजरेगी अपनी रैना
अब मिलेंगे अपने नैना
खुद की तन्हाई होगी
बज रही शहनाई होगी
खुद की तन्हाई होगी
बज रही शहनाई होगी
Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”