Saturday 25 November 2017

A-148 कभी तुम मिल पाते 15.4.16--10.33 AM

A-148 कभी तुम मिल पाते 15.4.16--10.33 AM 

कभी तुम मिल पाते तो कैसा होता 
नज़रें ग़र मिला पाते तो कैसा होता 
बहुत सारी बातें तुम कर सकते हो 
कभी मुझे सुन पाते तो कैसा होता 

सोचा नहीं तुमसे मिलने से पहले 
मिलकर जाना की तुमसे हैं सनम 
बिछुड़ जाना भी बना दस्तूर सा है 
कभी साथ रह पाते तो कैसा होता 

बादलों की गरज फूलों सा महकना 
गुस्से भरी आँखें व प्यार से चहकना  
कभी नज़रें चुराना और मुँह फेर लेना 
कभी प्यार भी जताते तो कैसा होता 

आसमान भरे इरादे पूरे करने थे सारे 
मेरे सारे सपने जो अब हुए थे तुम्हारे 
कहने को बहुत सारी दिल में थी बातें 
कभी हम भी कह पाते तो कैसा होता 

कभी हम मिल पाते तो कैसा होता 
कभी तुम्हें सुन पाते तो कैसा होता 

Poet: Amrit Pal Singh Gogia “Pali”

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