नहीं लगता मुझे कुछ और बाक़ी है
ख़ुद को समझने समझाने के लिए
कि हमें कुछ और भी करना पड़ेगा
कुछ खोने और कुछ पाने के लिए
नहीं मनस्सर किसी दर्द का होना
छिपने और छिपाने की कला पर
महसूस करना कराना ही बहुत है
हो रहे दर्द को लिवा लाने के लिए
परस्पर सम्बंध अलबत्ता काफ़ी हैं
ज़िंदगी बसर और बसाने के लिए
हम यूँ ही नहीं तुम्हें उमदा कहते हैं
वो गुण हैं जो लगें रिझाने के लिए
कुछ भी नहीं है दिखने दिखाने को
मन की अवस्था है ज़माने के लिए
स्वयं को समझना सबसे जरुरी है
उनको अपने करीब लाने के लिए
तुम में कोई नुक़्स नहीं न परेशां हो
ये बातें तो हैं सिर्फ़ जताने के लिए
तुम हमेशा ही जिद्द करते आए हो
अक्सर कुछ न कुछ पाने के लिए
जीवन का निर्वाह बहुत आसान है
ज़िन्दगी और बेहतर बनाने के लिए
बस केवल सुनना ही आना चाहिए
अब समझने और समझाने के लिए
Poet: Amrit
Pal Singh Gogia “Pali”
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