हम कर रहे हैं एक ऐसी कविता अर्पित
जो होगी शादी शुदा मर्दों को समर्पित
शादी शुदा बीबी बात को समझ जाये
तो शायद मर्दों की ज़िन्दगी लौट आए
पहले मेहरारू को यह बात हम बताएँ
जब उसका इंसान घर लौट कर आए
सबसे पहले आप थोड़ा सा मुसकायें
थोड़ी देर के लिए पराया समझ जाएँ
मेहमानों की तरह अदब से पेश आएँ
एक ग्लास पानी का प्यार से पिलाएँ
फिर उनके साथ अदब संग बैठ जाएँ
थोड़ा सा दिन का हाल कार्यक्रम पूँछें
थोड़ा सुने और थोड़ा हाँ में हाँ मिलाएँ
कभी कभी बीच में सिर को भी हिलाएँ
कुछ समझ न आए तो भी उनको बताएँ
सब समझ आ गया कितनी हैं विपदाएँ
कितना झेल कर आए थोड़ा तरस खाएँ
और थोड़ा मेज़बानों की तरह पेश आएँ
उनको आरामगाह का रास्ता भी दिखाएं
कर सको तो थोड़ा बच्चों को दूर भगाएँ
अंकल थके हुए हैं थोड़ा उनको ये बताएं
शोर शराबा नहीं करना उनको समझाएं
थोड़ा जब आराम कर लें उनको उठाएं
उनके सपनों के सफ़र का लुत्फ़ उठाएं
उनको सोने के कपड़ों से अवगत कराएं
जरुरत पड़े तो मेहमानों जैसा पेश आएं
फिर उनको रात्रि भोज का आमंत्रण दें
फिर मेहमानों की तरह खाना खिलायें
खाने से जब संतुष्ट हो जाएं तो मीठा
थोड़ा मीठा हो जाये शब्दों को दोहराएं
जब भी वो घर आएं तो उनको ये बताएं
आप भी तो मेहमानों की तरह पेश आएं
Poet: Amrit
Pal Singh Gogia “Pali”
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